दिव्या FIDE विमेंस वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंची, ऐसा करने वाली पहली भारतीय

भारतीय ग्रैंडमास्टर दिव्या देशमुख ने जॉर्जिया में चल रहे FIDE विमेंस वर्ल्ड कप के फाइनल में जगह पक्की कर ली है। दिव्या इस टूर्नामेंट के इतिहास में फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी हैं। यह जीत उनकी लगातार तीसरी ऐसी जीत है, जिसमें उन्होंने एक ग्रैंडमास्टर को मात दी। इस जीत के साथ ही दिव्या ने अपना पहला ग्रैंडमास्टर नॉर्म हासिल किया और 2026 FIDE महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में अपनी जगह पक्की की। वहीं, कोनेरू हम्पी का फैसला आज टाई-ब्रेकर मैच (रैपिड/ब्लिट्ज) से होगा। चीनी खिलाड़ी टिंगजी लेई के खिलाफ दोनों गेम ड्रॉ रहा। दिव्या ने पूर्व वर्ल्ड चैंपियन को हराया दिव्या ने पूर्व वर्ल्ड चैंपियन तान झोंग्यी को सेमीफाइनल मुकाबले में 1.5-0.5 के अंतर से हराया। 19 साल की दिव्या ने सफेद मोहरों से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया और 101 चाल में मात दी। दूसरे गेम में उन्हें सफेद मोहरों से खेलने का फायदा मिला। उन्होंने बीच के खेल में लगातार दबाव बनाया और तान झोंग्यी को गलतियां करने पर मजबूर कर दिया। व्हाइट (दिव्या) क्वीन की अदला-बदली के साथ जीत की स्थिति में थी, लेकिन क्वीन को बोर्ड पर रखने से भी उनकी स्थिति बहुत मजबूत थी।इसके बाद झोंग्यी ने वापसी की और बढ़त ले ली। समय की कमी में झोंग्यी ने गलत चाल चली, जिसके बाद दिव्या दो प्यादों की बढ़त के साथ आगे हो गईं। आखिरी गेम में झोंग्यी के पास ड्रॉ के कई मौके थे, लेकिन वह इन्हें भुना नहीं सकीं।

पहले गेम में दिव्या ने काले मोहरों से खेला था। यह गेम ड्रॉ रहा था। दिव्या ने पहले गेम के शुरुआत में ही खेल को संतुलित करने की रणनीति अपनाई। झोंगयी ने ‘क्वीन्स गैम्बिट डिक्लाइन्ड’ ओपनिंग से खेल की शुरुआत की, जिसमें दिव्या ने लगातार मोहरे बदलते हुए संतुलन बनाए रखा। झोंगयी भी इस स्थिति से संतुष्ट दिखीं, जहां ब्लैक को थोड़ी सक्रियता मिली थी। अंत में दोनों के पास एक-एक रूक और एक-एक छोटा मोहरा (बिशप/नाइट) के साथ तीन-तीन प्यादे एक ही हिस्से में रह गए, जिससे खेल ड्रॉ के अलावा कुछ और हो नहीं सकता था।

 

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