बिहार का एक ऐसा परिवार, जहां पैदा होते हैं सिर्फ अंग्रेज !

आज के समय में मेडिकल साइंस ने काफी तरक्की कर ली है कई ऐसी बीमारियां, जिसका एक समय पर इलाज नहीं था, आज उसकी दवाइयां आ चुकी है जिन बिमारियों से पहले लोग घबरा जाते थे, अब उसका इलाज कर छुटकारा पा लेते हैं. लेकिन ऐसी कई बीमारियां अभी भी मौजूद हैं जो जेनेटिक होती हैं. जेनेटिक बीमारियां वो होती हैं, जो एक पीढ़ी से दूसरी में ट्रांसफर होती है. जेनेटिक बिमारियों का इलाज करना थोड़ा मुश्किल होता है. बिहार के गोपालगंज में एक परिवार ऐसी ही जेनेटिक बीमारी को कई पीढ़ियों से ढो रहा है. इस परिवार में कई पीढ़ियों से ऐल्बिनिज़म नाम की जेनेटिक बीमारी ट्रेवल कर रही है. इसकी वजह से परिवार का हर सदस्य बेहद गोरा दिखता है. अपने रंग की वजह से इस परिवार को सभी अंग्रेज की फैमिली बोलते हैं. लेकिन असल में ये एक बीमारी की वजह से है. इसका अंग्रेजों से कोई लेना देना नहीं है. सोशल मीडिया पर इस परिवार को अंग्रजों का परिवार बताया जा रहा है. अपने रंग की वजह से फैमिली काफी चर्चा में रहती है. कई गांवों से लोग इस फैमिली को देखने के लिए आते हैं. लेकिन असल में इस परिवार का कोई भी सदस्य कभी विदेश गया ही नहीं है. इस फैमिली में जेनेटिक बीमारी ऐल्बिनिज़म मौजूद है. इसमें इंसान की स्किन का कलर पेल यानी रंगहीन हो जाता है. इस बीमारी का इलाज काफी मुश्किल है क्यूंकि ये जेनेटिक रोग है और मां-बाप से बच्चे को आसानी से पास ऑन हो जाता है.

ऐल्बिनिज़म एक जेनेटिक बीमारी है इसमें बॉडी मेलेनिन का सिक्रीशन काफी कम करती है जिसकी बॉडी में जितना अधिक मेलेनिन पैदा होता है, उसका रंग उतना ही डार्क होता है. ऐल्बिनिज़म में बॉडी के अंदर मेलेनिन बनता ही नहीं है. इस वजह से इससे ग्रस्त शख्स बेहद गोरा नजर आता है. आपको बता दें कि ऐल्बिनिज़म और वर्टिगो में अक्सर लोग कन्फ्यूज हो जाते हैं. लेकिन ये दोनों ही अलग स्थितियां हैं. वर्टिगो जेनेटिक बीमारी नहीं है. ये जन्म के बाद होती है. जबकि ऐल्बिनिज़म पैदा होने के साथ इंसान को अपनी चपेट में ले लेता है.

 

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