GST 2.0 से अब मिडिल क्लास बना ‘महाराजा’, घरेलू सामान सस्ते होने से बढ़ेगी खरीदारी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई वाली जीएसटी काउंसिल ने टैक्स सिस्टम में अहम बदलाव किए हैं. इसके तहत फूड आइटम्स और रोजमर्रा के सामान के साथ-साथ टीवी और रेफ्रिजरेटर जैसे घरेलू सामानों पर टैक्स रेट में भारी कटौती का ऐलान हुआ है. जीएसटी में बदलाव से अब मिडिल क्लास को और ज्यादा बचत होगी, जिसे इस साल के बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना इनकम को टैक्स फ्री किए जाने से भी काफी राहत मिली थी. अब से पहले के चार स्लैब की बजाय 5% और 18% के सिर्फ दो टैक्स स्लैब होंगे. ये दरें 22 सितंबर से लागू होंगी. हालांकि, तंबाकू उत्पाद जैसे सिन-गुड्स और अल्ट्रा लग्जरी आइटम्स पर पहले के 28% के बजाय अब 40% टैक्स लगेगा. सरकार का मकसद साफ है कि मिडिल क्लास के हाथों में ज्यादा पैसा वापस दिया जाए, जो अर्थव्यवस्था के लिए बहुत अहम है और सबसे अधिक खर्च करता है, साथ ही घरेलू उपभोग को बढ़ावा दिया जा सके.

इससे लंबे त्योहारी सीजन से पहले थोक खरीद को भी बढ़ावा मिलेगा, जब मिडिल क्लास आमतौर पर अपनी जेब ढीली करता है. इस तरह, कुछ हद तक, 50% अमेरिकी टैरिफ के कारण निर्माताओं को होने वाले आर्थिक नुकसान को कम किया जा सकेगा. मीडिया को संबोधित करते हुए सीतारमण ने इस फैक्ट को भी बताया कि आठ साल पहले जीएसटी लागू होने के बाद से जीएसटी सिस्टम में सबसे बड़े बदलाव के पीछे आम आदमी को केंद्र में रखा गया था.

केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, ‘ये सुधार आम आदमी को ध्यान में रखकर किए गए हैं. आम आदमी के रोजमर्रा के इस्तेमाल की वस्तुओं पर लगने वाले हर टैक्स की कड़ी समीक्षा की गई है और ज़्यादातर मामलों में रेट्स में भारी कमी आई है. श्रम-प्रधान उद्योगों को अच्छा समर्थन दिया गया है. किसानों और कृषि क्षेत्र के साथ-साथ हेल्थ सेक्टर को भी फायदा होगा.’ सरकार के इस कदम से न सिर्फ मिडिल क्लास की बचत बढ़ेगी बल्कि उसकी परचेजिंग पावर भी मजबूत होगी. खरीदारी बढ़ने से श्रम प्रधान उद्योगों से जुड़े लोगों को रोजगार के ज्यादा मौके मिलने की भी उम्मीद है. जीएसटी सुधारों का यह कदम देश के लेबर फोर्स के लिए निर्णायक साबित हो सकता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक्स पोस्ट में बताया है कि जीएसटी रेट में बदलाव का मकसद आम आदमी के जीवन को आसान बनाना है. पीएम मोदी ने कहा कि व्यापक सुधारों से आम आदमी, किसान, MSME, मिडिल क्लास, महिलाएं और युवा सभी को फायदा होगा.

इन सुधारों से आखिर आम आदमी के लिए क्या बदलेगा, इसके लिए हमें सेक्टर के लिहाज से विश्लेषण करना होगा. इसका तत्काल प्रभाव रोजमर्रा में इस्तेमाल किए जाने वाले फूड प्रोडक्ट्स पर दिखेगा. साथ ही रेडीमेड फ्रोजन पराठे, रोटी, खाखरा, पिज्जा ब्रेड और पनीर अब पूरी तरह जीएसटी फ्री हैं. सभी डेयरी मिल्क पहले से ही जीएसटी से फ्री थे, लेकिन अब सरकार ने अल्ट्रा-हाई-टेम्परेचर (यूएचटी) दूध या लंबे समय तक चलने वाले दूध पर टैक्स रेट घटाकर जीरो कर दी है. इसके अलावा, प्लांट-बेस्ड मिल्क ड्रिंक्स और सोया मिल्क ड्रिंक्स, दोनों पर जीएसटी की दर घटाकर 5% कर दी गई है.

मक्खन और घी, जैम, फ्रूट जेली, सॉस, पैक्ड नमकीन और भुजिया जैसी रसोई की ज़रूरी चीज़ों पर जीएसटी की दर 12-18% से घटाकर 5% कर दी गई है. पास्ता, कॉर्नफ्लेक्स, बिस्किट, चॉकलेट और कोको प्रोडक्ट, सूखे मेवे और मेवे, और खजूर पर भी सिर्फ़ 5% टैक्स लगेगा. ये मिडिल क्लास के लिए जरूरी मासिक खरीदारी हैं और जीएसटी में कमी से ये प्रोडक्ट्स सस्ते हो जाएंगे और घरेलू बजट आसान हो जाएगा.

हेयर ऑयल, टूथपेस्ट, शैम्पू, कंघी जैसी पर्सनल यूज के सामान पर भी अब 18% की बजाय सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा, जो सस्ता हो जाएगा. टेबलवेयर, किचनवेयर, छाते, बर्तन, साइकिल और बांस से बने फर्नीचर पर भी 12% से घटकर सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा.

त्योहारों का सीजन वो टाइम होता है जब मिडिल क्लास आमतौर पर महंगे सामानों पर, खासकर भारी छूट के कारण, खूब पैसा खर्च करता है. एसी, बड़े स्क्रीन वाले टीवी, रेफ्रिजरेटर और वॉशिंग मशीन जैसे प्रोडक्ट पर 28% से बढ़कर 18% जीएसटी लगने वाला है, जिससे उपभोक्ता और ज्यादा बचत की उम्मीद कर सकते हैं. मिडिल क्लास के लिए एक और खुशी की बात यह है कि पर्सनल हेल्थ और जीवन बीमा प्रीमियम, जिन पर पहले 18% टैक्स लगता था, अब जीएसटी फ्री होंगे. इससे न सिर्फ हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम ज़्यादा किफ़ायती होंगे, बल्कि इनकी पहुंच भी काफ़ी बढ़ेगी क्योंकि अब यह पहली बार बीमा खरीदने वालों के लिए आकर्षक होगा. वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, ‘सभी पर्सनल इंश्योरेंस पॉलिसी, चाहे वे टर्म लाइफ, यूलिप या एंडोमेंट पॉलिसी हों, और उनका री-इंश्योरेंस हो, पर जीएसटी से छूट से आम आदमी के लिए इंश्योरेंस सस्ता हो जाएगा और देश में इंश्योरेंस कवरेज बढ़ जाएगा.’ इसके अलावा, लाइफ सेविंग कैंसर ट्रीटमेंट और दुर्लभ रोग दवाओं सहित 30 से ज्यादा विशेष दवाओं पर अब जीएसटी शून्य होगा.

छोटी कार और बाइक (350 सीसी तक) खरीदने की इच्छा रखने वालों के लिए भी अच्छी खबर है, क्योंकि जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिए जाने से ये सस्ती हो जाएंगी. लेकिन, ‘छोटी कार’ की परिभाषा क्या है? सरकार के अनुसार, ‘छोटी कारें’ वे हैं जिनमें 1200 सीसी तक के पेट्रोल इंजन या 1500 सीसी तक के डीज़ल इंजन होते हैं. उनकी लंबाई 4 मीटर से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए. इस तरह मारुति सुजुकी ऑल्टो, स्विफ्ट, फ्रॉन्क्स, टाटा पंच और हुंडई आई-10 जैसी कारें सस्ती हो जाएंगी. हालांकि, ज़्यादा सीसी वाली ज़्यादा लग्ज़री कारों पर 40% का भारी टैक्स रेट लागू होगा. जीएसटी सुधार और फरवरी के बजट में लाखों मिडिल क्लास टेक्यपेयर्स के लिए घोषित बड़ी टैक्स राहत, बेशक उपभोक्ता खर्च को प्रोत्साहित करने में काफी मददगार साबित होगी. प्रभावी रूप से, नए टैक्स सिस्टम के तहत, हर साल 12.75 लाख रुपये तक की इनकम वाले व्यक्तियों पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगेगा.

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