कल 26 जून से शुरू हो रही है गुप्त नवरात्रि, जानिए कलश स्थापना का मुहूर्त

आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी। इस वर्ष 26 जून गुरुवार से गुप्त नवरात्रि पर माता के नौ रूपों की पूजा शुरू हो जाएगी। आगामी 04 जुलाई तक गुप्त नवरात्रि पर खासतौर पर तांत्रिक साधना, विशेष अनुष्ठान और गुप्त उपासना होगी। गुप्त नवरात्रि के दौरान कई साधक महाविद्या तंत्र साधना के लिए आराधना करते हैं, जबकि अन्य लोग पूरे नौ दिनों तक मां आदिशक्ति के नौ रूपों की पूजा-अर्चना विधि-विधान से करेंगे। वसंत और शारदीय नवरात्रि गृहस्थों और सामान्य जनों के लिए है परंतु गुप्त नवरात्रि संतों और साधकों को लिए है। यह साधना की नवरात्रि है उत्सव की नहीं। इसलिए इसमें खास तरह की पूजा और साधना का महत्व होता है। यह नवरात्रि विशेष कामना हेतु तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए होती है। गुप्त नवरात्रि में विशेष पूजा से कई प्रकार के दुखों से मुक्ति पाई जा सकती है। अघोर तांत्रिक लोग गुप्त नवरात्रि में महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए उपासना करते हैं। यह नवरात्रि मोक्ष की कामना से भी की जाती है। तांत्रिकों को तंत्र साधना करने के लिए गुप्त नवरात्रि का इंतजार रहता है, इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।
गुप्त नवरात्रि 2025 में कलश स्थापना का मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि आरंभ: 25 जून शाम 4:00 बजे से
समाप्ति: 26 जून दोपहर 1:24 बजे तक
उदया तिथि अनुसार नवरात्रि आरंभ: 26 जून
शुभ मुहूर्त
कलश स्थापना (मिथुन लग्न): सुबह 4:33 से 6:40 तक
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 10:58 से 11:53 तक
ध्रुव योग: 26 जून से 27 जून सुबह 5:37 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 26 जून सुबह 8:46 से रातभर
विशेष सुझाव
गुप्त नवरात्रि के नौ दिन श्रद्धा, मौन, संयम और साधना के लिए होते हैं. इन दिनों राहु, केतु और शनि से संबंधित दोषों को शांत करने के लिए विशेष मंत्रों और उपायों का प्रयोग करना लाभकारी रहेगा.