हार्वर्ड में अब विदेशी छात्रों को नहीं मिलेगा दाखिला, ट्रंप प्रशासन ने लगाई रोक

अमेरिका के राष्ट्रपति और उनका प्रशासन हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के पीछे पड़ गया है एकबार फिर हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर बड़ी कार्रवाई की है. अब हार्वर्ड विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे पाएगा. होमलैंड सिक्योरिटी की सचिव ने पत्र लिखकर कहा है कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक यह रोक लागू रहेगी. सरकार का आरोप है कि हार्वर्ड में यहूदी विरोधी भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ मिलकर काम किया जा रहा है. सरकार का कहना है कि विदेशी छात्रों को दाखिला देना एक विशेषाधिकार है, अधिकार नहीं. हार्वर्ड विश्वविद्यालय को भेजे गए पत्र में यह उल्लेख किया गया था कि, यदि हार्वर्ड आगामी शैक्षणिक स्कूल वर्ष से पहले छात्र और विनिमय आगंतुक कार्यक्रम प्रमाणन को पुनः प्राप्त करने का अवसर चाहता है, तो उन्हें 72 घंटे के भीतर आवश्यक जानकारी प्रदान करनी चाहिए. विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, हर साल 500-800 भारतीय छात्र और विद्वान हार्वर्ड में अध्ययन करते हैं. वर्तमान में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भारत के 788 छात्र नामांकित हैं. हार्वर्ड की स्थापना 1636 में हुई थी और यह दुनिया के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है. इस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रों में आठ अमेरिकी राष्ट्रपति और 200 से अधिक जीवित अरबपतियों के साथ-साथ 188 अरबपति पूर्व छात्र शामिल हैं, जिनकी कुल संपत्ति लगभग 5.43 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है.

13 मई को दुनिया के टॉप यूनिवर्सिटी में से एक, हार्वर्ड को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग में एक नई कटौती की घोषणा की. जबकि एक दिन पहले ही इस एलीट यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट ने कहा कि कई मुद्दों पर ट्रंप प्रशासन और यूनिवर्सिटी “कॉमन ग्राउंड” शेयर करते हैं यानी दोनों की सोच एक जैसी है. ट्रंप की सरकार सिर्फ हार्वर्ड के पीछे नहीं पड़ी है. व्हाइट हाउस कई मोर्चों पर अमेरिकी यूनिवर्सिटीज पर कार्रवाई कर रहा है. प्रशासन का कहना है कि ये यूनिवर्सिटी यहूदी विरोधी आंदोलन का केंद्र बन गए हैं और हमास को समर्थन दे रहे हैं. प्रशासन इसे राजनीतिक आंदोलन बताते हुए यूनिवर्सिटी में कौन एडमिशन लेगा, कौन पढ़ाएगा.. सब पर कंट्रोल करना चाहता है. ऐसा लगता है कि हार्वर्ड ने कोशिश की कि ट्रंप प्रशासन के साथ उसका गतिरोध खत्म हो जाए.

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