भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल नौसेना में शामिल, गहरे रेस्क्यू मिशन में करेगा मदद

विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना में INS निस्तार नाम का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल कमीशन किया गया. इस मौके पर रक्षा राज्यमंत्री श्संजय सेठ मौजूद थे. यह जहाज गहरे समुद्र में जटिल गोताखोरी और बचाव अभियानों के लिए बनाया गया है, जो नौसेना की ताकत को बढ़ाएगा. INS निस्तार हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा बनाया गया पहला डाइविंग सपोर्ट वेसल है. दूसरा भी बन रहा है. यह 118 मीटर लंबा जहाज 10,000 टन से ज्यादा वजन का है. इसमें आधुनिक गोताखोरी उपकरण जैसे रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV), सेल्फ-प्रोपेल्ड हाइपरबेरिक लाइफ बोट और डाइविंग कंप्रेशन चैंबर लगे हैं. यह 300 मीटर की गहराई तक गोताखोरी और बचाव कार्य कर सकता है. यह डूबे पनडुब्बी से लोगों को निकालने के लिए ‘मदर शिप’ की तरह काम करेगा. इस जहाज में 80% से ज्यादा स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल हुआ है, जिसमें 120 छोटे-मोटे उद्यमों (MSMEs) ने योगदान दिया. यह ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान का हिस्सा है. नौसेना के 57 नए युद्धपोतों में से सभी स्वदेशी तकनीक से बन रहे हैं. रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने नौसेना और शिपबिल्डिंग इंडस्ट्री की तारीफ की, जो घरेलू समाधान और नई तकनीक से जहाजों को मजबूत कर रही है.
सेठ ने कहा कि INS निस्तार नौसेना को क्षेत्र में ‘फर्स्ट रिस्पॉन्डर’ और ‘प्रेफर्ड सिक्योरिटी पार्टनर’ बनाता है. यह जहाज दुश्मनों से निपटने के लिए भारत की दृढ़ता दिखाता है. नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने इसे तकनीकी संपत्ति और ऑपरेशनल मददगार बताया. उन्होंने कहा कि निस्तार पनडुब्बी बचाव में भारत को क्षेत्र का ‘प्रेफर्ड पार्टनर’ बनाएगा. यह हमारे समुद्री उद्योग की बढ़ती क्षमता का सबूत है. यह जहाज गहरे समुद्र में डूबी पनडुब्बियों से लोगों को निकालने, मलबा हटाने और बचाव कार्यों में मदद करेगा. इसके आधुनिक उपकरण इसे दुनिया के चुनिंदा नौसैनिक बेड़ों के बराबर बनाते हैं. यह नौसेना की समुद्र के नीचे की ताकत को मजबूत करेगा और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाएगा.
INS निस्तार का कमीशन नौसेना की तैयारियों को नई ऊंचाई देगा. यह जहाज दुश्मन की हरकतों से निपटने और आपदा में मदद के लिए तैयार है. इसे तकनीकी छलांग और शिपबिल्डिंग में मील का पत्थर बताया. एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि यह आत्मनिर्भर भारत का शानदार उदाहरण है.