एंटी करप्शन टीम की बड़ी कार्रवाई…दरोगा को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा

उत्तर प्रदेश : कानपुर जिले में एंटी करप्शन टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए नौबस्ता थाने में तैनात दरोगा अभिनव चौधरी को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह गिरफ्तारी सोमवार शाम श्रीराम चौक क्षेत्र में की गई, जहां दरोगा ने एक युवक से 20 हजार रुपये की मांग की थी। युवक की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एंटी करप्शन टीम ने जाल बिछाया और आरोपी दरोगा को उसी वक्त धर दबोचा। मामला एक पुराने जमीनी विवाद से जुड़ा है जिसकी जांच दरोगा अभिनव चौधरी कर रहे थे। दरअसल, 14 जनवरी 2025 को नौबस्ता थाने में होजरी कारोबारी त्रिपुरेश मिश्रा ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें उन्होंने प्रत्युष कुमार समेत चार लोगों पर जालसाजी, रंगदारी और धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि नौबस्ता के मछरिया क्षेत्र में स्थित पुश्तैनी मकान को कब्जाने के लिए दस्तावेजों में हेरफेर की गई थी। इस मामले की जांच दरोगा अभिनव चौधरी को सौंपी गई थी। जांच के दौरान दरोगा पर आरोप है कि उन्होंने नामजद आरोपी प्रत्युष कुमार का नाम एफआईआर से हटाने के बदले 20,000 रुपये की रिश्वत की मांग की। पीड़ित युवक ने दरोगा की इस मांग की जानकारी एंटी करप्शन टीम को दी और शिकायत दर्ज कराई।
युवक की शिकायत पर एंटी करप्शन टीम ने सक्रियता दिखाई और पूरी योजना के तहत दरोगा को रंगे हाथ पकड़ने की तैयारी शुरू कर दी। सोमवार शाम दरोगा अभिनव चौधरी ने युवक को श्रीराम चौक पर बुलाया, जहां उन्हें रिश्वत की रकम सौंपी जानी थी। एंटी करप्शन टीम पहले से ही मौके पर सादे कपड़ों में मौजूद थी। जैसे ही युवक ने दरोगा को 20 हजार रुपये दिए, टीम ने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए दरोगा को गिरफ्तार कर लिया। इस कार्रवाई से आसपास मौजूद लोग चकित रह गए और कुछ देर के लिए इलाके में अफरातफरी मच गई। गिरफ्तारी के बाद दरोगा अभिनव चौधरी को कानपुर से लखनऊ ले जाया गया, जहां उन्हें एंटी करप्शन कोर्ट में पेश किया जाएगा। न्यायिक प्रक्रिया के तहत अब उन पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चलेगा।
एंटी करप्शन टीम ने दरोगा के पास से रिश्वत की रकम भी बरामद की है, जो कि पहले से सीरियल नंबर वाले नोट थे। इसके साथ ही उनके खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है। इस घटना ने कानपुर पुलिस विभाग में खलबली मचा दी है। वरिष्ठ अधिकारियों ने इस घटना को बेहद गंभीर मानते हुए दरोगा को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने की सिफारिश की है। कानपुर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “यह घटना पूरे विभाग के लिए शर्मनाक है। ऐसे लोगों की कोई जगह नहीं है, और सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
रिश्वत मांगने वाले दरोगा के खिलाफ आवाज उठाने वाले युवक ने मीडिया से बातचीत में कहा, “मुझे पहले डर लग रहा था कि कहीं कुछ उल्टा न हो जाए, लेकिन मैंने हिम्मत दिखाई और एंटी करप्शन टीम से संपर्क किया। अब मुझे संतोष है कि न्याय मिला है।” युवक ने कहा कि वह चाहता है कि ऐसे भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई हो ताकि आम जनता का पुलिस पर भरोसा बना रहे। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) के तहत अगर कोई सरकारी अधिकारी रिश्वत लेते पकड़ा जाता है, तो उसे सात साल तक की कैद और जुर्माना हो सकता है। यदि अदालत में दोष सिद्ध होता है, तो दरोगा अभिनव चौधरी को पुलिस सेवा से बर्खास्त भी किया जा सकता है। इसके साथ ही, उस केस की जांच को अब किसी अन्य ईमानदार अधिकारी को सौंपा जाएगा, ताकि निष्पक्ष तरीके से विवेचना हो सके और पीड़ित को न्याय मिल सके। इस घटना ने उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग की कार्यशैली और ईमानदारी पर फिर एक बार सवाल खड़े कर दिए हैं। आम जनता पहले से ही पुलिस की कार्यशैली को लेकर आशंकित रहती है, और ऐसे मामलों से उनकी आशंकाएं और गहरी हो जाती हैं।