श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान… तोड़ा अशोक स्तंभ

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में ईद-ए-मिलाद के मौके पर हजरतबल दरगाह में बड़ा बवाल हो गया. जानकारी के अनुसार, दरगाह के रेनोवेशन के बाद लगाए गए संगमरमर पर विवाद खड़ा हो गया. लोगों का आरोप था कि मस्जिद के अंदर मूर्ति जैसी चीजें लगाई गई है, जो इस्लाम के खिलाफ है जिसके कारण गुस्साए लोगों ने अशोक चिह्न लगी पट्टिका तोड़ दी. यह संगमरमर दो दिन पहले वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने उद्घाटन के दौरान लगाया था. इस बीच जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन दरख्शां अंद्राबी ने कहा कि यह घटना बहुत ही अफसोसजनक है, यह एक सियासी पार्टी के गुंडे हैं. इन लोगों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. इन्होंने बहुत बड़ा अपराध किया है. वहीं, इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता ने रविंद्र रैना ने कहा कि इस मुकद्दस दिन पर किसी भी तरह का उपद्रव नहीं होना चाहिए. अगर कहीं किसी को दिक्कत है तो वो प्रशासन से बात कर इस मसले का हल कर सकता था.
कट्टरपंथ का घिनौना रूप!❌⚠️⛔️
श्रीनगर में आज मुस्लिम भीड़ में ‘अल्लाह-हू-अकबर..’ के नारे लगाते हुए हरतबल दरगाह शिलापट पर अंकित ‘असोक स्तंभ’ को ईंट-पत्थरों से कूचकर तोड़ दिया।
इन दंगाइयों पर UAPA के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। देश के राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान राष्ट्र का अपमान है। pic.twitter.com/eDDSotTDcq
— Suraj Kumar Bauddh (@SurajKrBauddh) September 5, 2025
अशोक चिन्ह (राजकीय प्रतीक) का दुरुपयोग करने या उसे नुकसान पहुंचाने पर भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह अधिनियम के तहत कैद और जुर्माने की सजा का प्रावधान है. इसमें 2 साल तक की कैद और पांच रुपये तक का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं. वहीं अगर देश के आन-बान-शान तिरंगे की बात करे तो तिरंगे का अपमान करना एक गंभीर अपराध है और इसका अपमान करने पर कठोर सजा का प्रावधान है. भारत में तिरंगे के उपयोग और सम्मान को बनाए रखने के लिए भारतीय ध्वज संहिता, 2002 और राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम, 1971 लागू है. जानकारी के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति तिरंगे को सार्वजनिक रूप से अपमानित करता है तो यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है.