देहरादून/ उत्तरकाशी: उत्तरकाशी के यमुनोत्री हाईवे सिल्क्यारा और पोल गांव के बीच बन रही सुरंग भूस्खलन का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दिखाई दे रहा है कि कुछ लोग टनल के भीतर काम कर रहे थे कि अचानक भूस्खलन हो गया और वहां भगदड़ मच गई। लोग बाहर की ओर भागने लगे।
उधर, एनएचडीसीआईएल के महाप्रबंधक लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक पाटिल का कहना है कि यह वीडियो सिल्क्यारा पोल गांव में बन रही टनल का नहीं है। वही उत्तरकाशी पुलिस भी ऐसे किसी हादसे से इंकार कर रही है। यह कहां का टनल है और यह वीडियो ताजा है इस बारे में कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं कर रहा है। जिससे प्रतीत होता है कि इस वीडियो की सच्चाई को छुपाने का प्रयास किया जा रहा है।
26 किलोमीटर कम हो जाएगी दूरी
उत्तरकाशी में यातायात को सुगम बनाने के लिए टनल और डबल लेन सड़कों को बनाने का काम तेजी से चल रहा है। भारत सरकार का एक उपक्रम सिल्क्यारा और पोल गांव के बीच में चल रहा है। इन गांवों की दूरी कम करने के लिए लगभग चार किलोमीटर की लंबी सुरंग बनाई जा रही है। जिससे उत्तरकाशी और बड़कोट के बीच की दूरी लगभग 26 किलोमीटर कम हो जाएगी। सोशल मीडिया में वायरल हो रहे टनल के भीतर भूस्खलन का वीडियो सिल्क्यारा और पॉल गांव के बीच का बताया जा रहा है।
इस घटना को भले ही निर्माणदायी संस्था एनएचडीसीआईएल और उत्तरकाशी पुलिस इंकार कर रही हो लेकिन स्थानीय लोग इसे सिलक्यारा टनल का ही वीडियो बता रहे हैं। वहीं स्थानीय लोगों टनल नौकरी से हटाने का भी विरोध स्थानीय लोगों द्वारा किया जा रहा है।
Yesterday's landslide caused by tunnel-boring to lay Rishikesh to Srinagar railway track in Uttarakhand. It's clear Modi's govt has taken no lessons from Joshimath sinking. pic.twitter.com/GoWiRuXQ8K
— Seema Sengupta, (@SeemaSengupta5) March 2, 2023
7 मीटर चौड़ी है सुरंग
इस संबंध में एनएचडीसीआईएल के महाप्रबंधक लेफ्टिनेंट कर्नल दीपक पाटिल का कहना है कि यह जो वीडियो वायरल हो रहा है वह इस टनल का नहीं है। उन्होंने बताया कि जिस टनल पर इस समय काम चल रहा है वह लगभग 14 मीटर चौड़ी है जिसमें तीन जेसीबी एक साथ साइड बाय साइड खड़ी हो सकती हैं। जबकि वीडियो में दिखाई जा रही सुरंग लगभग 7 मीटर चौड़ी है।
उन्होंने बताया कि जब तीन-चार साल पहले टनल का काम शुरू हुआ था तब कुछ स्थानीय लोगों को नौकरी के लिए दबाव बनाया था। जिस पर स्थानीय लोगों को सुरंग में काम करने के लिए नौकरी पर रखा गया। लेकिन इनमें से कुछ लोग काम पर आए ही नहीं, तो कुछ आते हैं लेकिन काम करने की बजाय कहीं साइड में जा कर बैठ जाते हैं। जबकि टनलिंग स्पेशलाइज्ड काम है। इसमें स्किल्ड लेबर की जरूरत होती है। करोड़ो की मशीनें हैं तो इनको चलाने के लिए ट्रेंड लोगों की जरूरत होती है। स्थानीय लोगों को यह काम आता नहीं है।
मिनिस्ट्री ऑफ रोड का ऑर्डर
बताया कि इनको देख कर यहां पर स्किल्ड लेबर ने भी देखा देखी में काम करना बंद कर दिया। काम रुकने पर जब प्रोजेक्ट मैनेजर ने इन स्थानीय लोगों को नोटिस दिया तो इन लोगों ने यहां पर हंगामा करना शुरू कर दिया। कहीं और के वीडियो को यहां का दिखा कर मीडिया में वायरल कर दिया जबकि यह सरासर गलत है। उनका कहना है कि मिनिस्ट्री ऑफ रोड का ऑर्डर आता है कि इस वीडियो को वायरल कर काम में बाधा डालने का प्रयास करने का तो आईटी एक्ट तहत में कार्रवाई करना उनके लिए भी जरूरी हो जाएगा।
वहीं उत्तरकाशी पुलिस ने इस वीडियो के सिलक्यारा पोलगांव का होने से इंकार किया है। पुलिस के अनुसार जो टनल में भूस्खलन की वीडियो है वह पुरानी वीडियो है और ये भी स्पष्ट नही है कि ये वीडियो यंही का है,सम्भवता यह किसी दूसरी जगह का है, वर्तमान में ऐसी कोई घटना घटित नहीं हुई है।कुछ समाचार चैनलों में जो प्रदर्शन दिखाया जा रहा है वह भी पुराना है जिन्हें आपस मे मिलाकर गलत तरीके से दिखाया जा रहा है।
रेलवे की टनल का चल रहा काम
इस वीडियो को लेकर दावे और खंडन से अभी तक यह तो साफ नहीं हो सका है कि यह वीडियो कहां का है। हालांकि यह भी बताया जा रहा है कि यह वीडियो रेलवे की टनल का है जहां काम चल रहा है। लेकिन कहां का है इस बारे में कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। इससे प्रतीत होता है कि यह वीडियो उत्तराखंड का ही है लेकिन इस हादसे को छिपाने के लिए यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है कि यह कहां का है।