ओडिशा : पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा शुरू, भोई राजवंश के मुखिया ने बुहारी सोने की झाड़ू

ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू हो गई है, जिसे ‘पहांडी’ अनुष्ठान कहा जाता है देश-विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु रथ यात्रा जुलूस में शामिल होने के लिए पुरी में जुटे हैं त्रिदेवों- भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को 12वीं शताब्दी के मंदिर से पहांडी में बिठाकर मंदिर के सिंह द्वार के सामने खड़े उनके संबंधित रथों तक ले जाया जाता है इस दौरान भव्य जुलूस निकलता है. सिंह द्वारा से भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और महाप्रभु जगन्नाथ के रथों को खींचकर श्री गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है, जो पुरी जगन्नाथ मंदिर से लगभग 2.6 किलोमीटर दूर है. ​गुंडिचा मंदिर महाप्रभु जगन्नाथ, उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के मौसी का घर माना जाता है. मंगल आरती और विधि विधान से पूजा-पाठ करने के बाद भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को 12वीं शताब्दी के मंदिर से निकालकर सिंह द्वार पर खड़े उनके रथों नंदी घोष, दर्पदलन और तालध्वज पर विराजमान किया गया. भोई राजवंश के मुखिया ने रथ यात्रा के रास्ते को सोने की झाड़ू से बुहारा. इसके बाद भक्तों ने सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ खींचना शुरू किया. कुछ देर ले जाकर उनके रथ को रोक दिया गया. फिर देवी सुभद्रा के रथ को खींचना शुरू किया गया. सबसे आखिरी में महाप्रभु जगन्नाथ के रथ को खींचा जाएगा. रथ यात्रा के लिए अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं. ओडिशा पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, एनएसजी और अन्य सुरक्षा बलों के लगभग 10,000 जवानों की तैनाती के बीच रथ यात्रा आयोजित की जा रही है. ओडिशा के डीजीपी वाई.बी खुरानिया ने कहा, ‘हमने रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए हर संभव व्यवस्था की है. 275 से अधिक एआई-इनेबल्ड सीसीटीवी कैमरों के जरिए रथ यात्रा की निगरानी की जा रही है.’

श्री सुदर्शन के पीछे भगवान जगन्नाथ के बड़े भाई भगवान बलभद्र थे, जिन्हें उनके ‘तालध्वज’ रथ पर विराजमान किया गया. भगवान जगन्नाथ और भगवान बलभद्र की बहन देवी सुभद्रा को सेवकों द्वारा ‘सूर्य पहांडी’ (रथ पर ले जाते समय देवी आकाश की ओर देखती हैं) नामक विशेष जुलूस में उनके ‘दर्पदलन’ रथ पर विराजमान किया गया.

घंटियां, शंख और झांझ बजाते हुए चक्रराज सुदर्शन को सबसे पहले मुख्य मंदिर से बाहर निकाला गया और देवी सुभद्रा के ‘दर्पदलन’ रथ पर विराजित किया गया. श्री सुदर्शन भगवान विष्णु का चक्र अस्त्र है. पुरी में विराजमान महाप्रभु जगन्नाथ, भगवान विष्णु के ही रूप हैं

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