जयपुर : मोती डूंगरी के मंदिर में भगवान गणेश को हीरे पन्नों से जड़ा सोने का मुकुट पहनाया गया…

राजस्थान : जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर और परकोटे के पास अरावली की पहाड़ियों में स्थित गढ गणेश मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ अलसुबह से ही दर्शन करने के लिए उमड़ी हुई है। चारों ओर गणपति बप्पा मोरिया और गणेशजी के जयकारे गूंज रहे हैं। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए दर्शन के विशेष इंतजाम किए गए हैं। आज गणेश चतुर्थी पर दिनभर दर्शन होंगे और कल भगवान गणेश जयपुर भ्रमण करने निकलेंगे। ऐसी मान्यता है की मोती डूंगरी में भगवान गणेश खुद अपने मुकुट का चयन करते है

जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर में भगवान गणेश की प्रतीमा को हीरे पन्नों से जड़ा सोने का मुकुट पहनाया गया है। जिस आसन पर भगवान गणेशजी विराजमान है, वह आसन चांदी का बनाया गया है। मंदिर के महंत कैलाश शर्मा का कहना है कि गणेश महोत्वस की तैयारी पिछले तीन महीने से चल रही है। पारम्परिक नौलखा श्रंगार के साथ सोने के मुकुट में माणक्य, हीरा, पन्ना और अन्य रत्न जड़े गए हैं। सिंजारे की 3100 किलोग्राम मेहंदी भी अर्पित की गई है। यह मेहंदी भक्तों में वितरित की जा रही है। इसके लिए 5 स्थानों पर अलग-अलग काउंटर लगाए गए हैं। मोती डूंगरी गणेश मंदिर में हर बुधवार को हजारों भक्त दर्शन करने आते हैं। गणेश चतुर्थी के अवसर पर दिनभर में लाखों की संख्या में भक्त मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर प्रशासन की ओर से भक्तों की सुविधाओं का ध्यान रखते हुए लाइव दर्शन की व्यवस्था की गई है। जयपुर का मोती डूंगरी गणेश मंदिर ना केवल जयपुर में बल्कि पूरे प्रदेश में विख्यात है। बताया जा रहा है कि करीब 700 साल पहले यहां भगवान गणेशजी की मूर्ति स्थापित करके मंदिर का निर्माण कराया गया था। एक किवंदती के मुताबिक मेवाड़ के राजा अपनी लंबी यात्रा के बा

मोती डूंगरी गणेश मंदिर पहाड़ी की तलहटी में बना है जबकि जयपुर का गढ़ गणेश मंदिर पहाड़ी की चोटी पर बना है। जयपुर शहर से सटी अरावली की पहाड़ियों पर नाहरगढ़ और जयगढ़ किले बने हुए हैं। इन्हीं पहाड़ियों के एक हिस्से में गढ़ गणेश मंदिर बना हुआ है। बताया जा रहा है कि इस मंदिर का निर्माण भी 18 वीं शताब्दी में हुआ। इस मंदिर की खास बात यह है कि यहां पर भगवान गणेश जी एक छोटे बालक पुरुषाकृति (बिना सूंड) के रूप में विराजमान हैं। मंदिर की स्थापना जयपुर राजघराने के पूर्व महाराजा ने शहर की स्थापना से पहले ही करा दिया था।

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