महाराष्ट्र : नांदेड बस स्टॉफ में MNS वकर्स ने हिंदी भाषी को पीटा, मराठी न बोलने पर पैर पड़वाए

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर विवाद तूल पकड़ते जा रहा है अब नांदेड़ में भी मराठी नहीं बोलने पर मारपीट की गई है. टॉयलेट में कार्यरत एक कर्मी के मराठी नहीं बोलने पर मनसे समर्थकों से बेरहमी से उसकी पिटाई कर दी. जानकारी के अनुसार नांदेड़ शहर के केंद्रीय एसटी बस अड्डे पर एक प्रवासी व्यक्ति शौचालय चलाता है. इस शौचालय में महिलाओं समेत आम नागरिकों से इस्तेमाल के लिए पांच रुपये लिए जाते हैं. एक मराठी व्यक्ति ने उससे इस बारे में पूछा और उसका वीडियो भी बनाया. उस शख्स ने मराठी बोलने से इनकार कर दिया.लोगों ने बस अड्डे के अधिकारियों से इसकी शिकायत भी की, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. यह वीडियो मनसे कार्यकर्ताओं को भेज दिया गया. इसके बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने उस शख्स की जमकर पिटाई की और उसे माफी मांगने के लिए विवश कर दिया. स्थानीय नागरिकों ने पहले भी स्टेशन प्रबंधन से इस घटना की शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

जानकारी के अनुसार नादेड़ बस स्टेशन के टॉयलेट के बाहर बैठे एक व्यक्ति से सवाल पूछा. बाहर बैठा टॉयलेट जाने वाले लोगों से पांच रुपये वसूल रहा था. व्यक्ति ने कहा कि वह इसकी शिकायत दर्ज कराएगा और जैसे ही उसने टॉयलेट के बाहर बैठे व्यक्ति का नाम पूछा, वह भड़क गया. वह सवाल पूछने वाले व्यक्ति से बहस करने लगा.
उसने ‘तू क्या साहेब है क्या’ कहकर बहस शुरू कर दी. इस पर वीडियो बनाने वाले व्यक्ति ने जोर देकर कहा कि आप मराठी में बात करें, लेकिन उस व्यक्ति ने मराठी बोलने से साफ इनकार कर दिया. जैसे ही यह वीडियो मनसे कार्यकर्ताओं तक पहुंचा, मनसे कार्यकर्ताओं ने बस स्टैंड के बाहर मौजूद उस शख्स की जमकर पिटाई कर दी.

महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से मराठी और हिंदी को लेकर विवाद चल रहा है. मनसे कार्यकर्ताओं ने इसके पहले भी मुंबई में मराठी नहीं बोलने पर कई गैर मराठियों की पिटाई की है. मराठी के मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव) और मनसे के प्रमुख राज ठाकरे एक साथ आए हैं और वे लोग लगातार मराठी अस्मिता की वकालत कर रहे हैं और महायुति सरकार पर हमला बोल रहे हैं.महाराष्ट्र में भाषा विवाद प्राथमिक से कक्षा पांचवीं तक हिंदी पढ़ाये जाने को अनिर्वाय किये जाने के बाद उठा था. हालांकि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के विरोध के बाद सरकार ने यह फैसला वापस ले लिया है, लेकिन उसके बाद भी भाषा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है.

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