भारत विभाजन पर NCERT का नया कंटेंट, कांग्रेस, जिन्ना और माउंटबेटन को दोषी बताया

NCERT ने क्लास 6 से 8 और 9 से 12 के लिए 2 नए मॉड्यूल जारी किए हैं। नियमित किताबों से अलग ये मॉड्यूल्स देश के बंटवारे की विभीषिका पर आधारित हैं। इसमें मोहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस पार्टी और लॉर्ड माउंटबेटन को बंटवारे का दोषी बताया गया है। मॉड्यूल बताता है कि जिन्ना ने बंटवारे की मांग की, कांग्रेस ने इसे स्वीकार कर लिया और माउंटबेटन ने इसे लागू कर दिया। ये जानकारी ‘विभाजन के दोषी’ टॉपिक में जोड़ी गई है। मॉड्यूल में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के एक भाषण का अंश भी शामिल किया गया है। नेहरू ने कहा था, ‘हम एक ऐसी स्थिति पर आ गए हैं जहां हमें या तो विभाजन को स्वीकार करना होगा या निरंतर संघर्ष और अराजकता का सामना करना होगा।’
मॉड्यूल के अनुसार, 1947 और 1950 के बीच, विभाजन ने भारत की एकता को खंडित किया, शत्रुतापूर्ण सीमाएं बनाईं, सामूहिक हत्याएं और विस्थापन को बढ़ावा दिया। सांप्रदायिक अविश्वास को गहरा किया। पंजाब और बंगाल की अर्थव्यवस्थाओं को तबाह कर दिया। जम्मू-कश्मीर को सामाजिक, आर्थिक और जनसंख्या के तौर पर पतन के रास्ते पर डाल दिया। यह बाद में आतंकवाद के कारण और भी बदतर हो गया। NCERT के स्पेशल मॉड्यूल कोर्स का हिस्सा नहीं होते, ये सप्लीमेंट्री मटेरियल होता है जो कोई खास टॉपिक बच्चों को समझाने के लिए तैयार किया जाता है। इसे पोस्टर्स, चर्चाओं और वाद-विवाद के द्वारा बच्चों को पढ़ाया जाता है। हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को भी स्पेशल मॉड्यूल में जोड़ा गया था।
स्पेशल मॉड्यूल की प्रस्तावना में पीएम नरेंद्र मोदी के शब्दों को भी शामिल किया गया है। मोदी ने कहा था, ‘बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। हमारी लाखों बहनें और भाई विस्थापित हो गए और लोगों की नासमझी और नफरती हिंसा के कारण कई जानें गईं। संघर्षों और बलिदान की याद में हमारे लोग 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाएंगे।’
हाल ही में NCERT कक्षा 8 की सामाजिक विज्ञान की किताब में मुगल शासकों के धार्मिक फैसले, सांस्कृतिक योगदान और क्रूरता की नई व्याख्या की गई है। ये किताब 2025-26 एकेडमिक सेशन से ही स्कूलों में लागू होगी। किताब में बनारस, मथुरा और सोमनाथ में मंदिरों को तोड़ने और जैन, सिख, सूफी और पारसी समुदायों पर अत्याचार की घटनाओं का भी जिक्र है। इस बारे में NCERT के एक अधिकारी ने कहा, ‘इतिहास की घटनाओं को मिटाया या नकारा नहीं जा सकता, लेकिन आज किसी को उनके लिए दोषी ठहराना गलत होगा। सत्ता की लालसा, अत्याचार या गलत महत्वाकांक्षाओं की शुरुआत को समझना ही ऐसा भविष्य बनाने का सही तरीका है जहां ये घटनाएं दोबारा न हों।”