‘बार-बार ब्लेम से बेहतर है एक मुकदमा करा दो नेहरू पर…’, RJD के मनोज झा का सरकार पर तंज

ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा में भाग लेते हुए राष्ट्रीय जनता दल के राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा नारा नहीं, संवेदनशील मुद्दा है. हमने इसे नारा बना दिया. उन्होंने कहा कि जब कोई आपदा आती है, कोई हादसा होता है, तब इस तरह की चीजें भी एक कर देती हैं हमें. ये फर्क भी हमें समझना चाहिए कि सेना और राजनीतिक नेतृत्व अलग-अलग चीजें हैं. हमारी आर्मी की खूबसूरती है कि अलग-अलग धर्म के लोग एक तिरंगे के नीचे हैं. जब कर्नल सोफिया आती थीं, विंग कमांडर व्योमिका आती थीं, हम सबका सीना गर्व से चौड़ा हो गया. मजहब पूछकर किसी की देशभक्ति पर शक नहीं करना चाहते. जिंदा लोग आंकड़े नहीं होते हैं. सच तो यह है कि जिम्मेदारी तय नहीं हुई है. इंसानी जिंदगी के वैक्यूम को कोई कैमरा नहीं भर सकता. मुआवजे और आंकड़े के बीच भी वैक्यूम होता है. राजनीति के लिए भी वक्त हैं. लोकोन्मुख मुद्दे हैं, उस पर बात होगी. लेकिन सेना के मान और शौर्य पर क्या राजनीति करोगे.
मनोज झा ने कहा कि कल लोकसभा की प्रॉसीडिंग देख रहा था. प्रधानमंत्री ने कल एक बात कही, मैं भारत का पक्ष रखने आया हूं. अरे ये संसद तो भारत ही है. पक्ष और विपक्ष दोनों भारत ही हैं. भारत का पक्ष तो अंतरराष्ट्रीय पटल पर रखना था, आपने रखा. यहां आपको सरकार का पक्ष रखना चाहिए था. सरकार देश का पर्याय नहीं है. देश रहने दीजिए. सरकार अपनी बात करे. नेहरू लाइफ वेस्ट हैं इस सरकार के. नेहरू बार-बार आ जाते हैं. मैंने पिछले सदन में भी कहा था, बेहतर है एक मुकदमा कर दो जवाहलाल नेहरू हाजिर हों. नेहरू अगर इतने वर्षों बाद भी आपको परेशान कर रहे हैं, कुछ तो बात थी उस बंदे में. आपने गुडविल मिशन दुनिया में भेजा, अच्छा निर्णय था. लगातार भेजिए. ऐसे मिशन अपने देश में भी भेजिए. हमारा गुडविल इस देश में हमने खत्म कर दिया है. ऑपरेशन सिंदूर, जिसे सेना के शौर्य को पूरा सदन सलाम कर चुका है. राजनीतिक निर्णयों को लेकर सेना ने इंगित किया है. प्रधानमंत्री से अपील करता हूं कि वह सदन में आएं और अमेरिकी राष्ट्रपति के दावे का खंडन करें, उन्हें सदी का सबसे बड़ा झूठा घोषित करें.
आरजेडी सांसद मनोज ने कहा कि पहलगाम हुआ, जो ट्वीट आया, डिबेट होने लगे. एक बार हाल में कश्मीर को सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं समझना चाहिए. कश्मीर में लोग बसते हैं, कश्मीर के लोगों ने भी कु्र्बानियां दी हैं. पहलगाम के बाद कश्मीर में जो हुआ, वह अनप्रेसिडेंटेड था. लोग बचा रहे थे, कंधा दे रहे थे, आंसू बहा रहे थे, दुकानों के शटर डाउन कर रहे थे. कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए. एनएसए ने कहा कि हमारा एक कांच का टुकड़ा नहीं टूटा. पुंछ-राजौर के लोग कांच से भी गए गुजरे हैं? विदेश मंत्री का बड़ा फैन था, जब वो ब्यूरोक्रेट थे. मैं राजनीति में नहीं था, उनको फॉलो करता था. एफ्रो एशियन कंट्रीज पहली बार जुटे थे, उसकी एनिवर्सरी इस बार पहली बार नहीं मनी. भारत ने मानवता के सवाल से कभी मुंह नहीं मोड़ा. कौन से भारत का निर्माण हो रहा है. अमेरिकन राष्ट्रपति में हमें चाचा चौधरी के सारे निगेटिव गुण दिखते हैं. उनको चौधराहट सवार हो गई है. खड़गे साहब की बात अखबार में छपने के पहले ही 30 वीं बार बोल दिया. इसका प्रतिकार होना चाहिए. सूत्रों के हवाले नहीं होना चाहिए.