हिमाचल में बाढ़ में बहा 11 महीने की बच्ची नितिका का परिवार, बुआ ने उठाई जिम्मेदारी, प्रशासन ने खुलवाया बैंक खाता

हिमाचल प्रदेश के मंडी में कुदरत ने 11 महीने की नन्ही बच्ची से उसके माता-पिता और दादी तीनों को एक साथ छीन लिए। मगर अब उसी नन्ही नितिका को गोद (एडॉप्ट) लेने के लिए सात-समंदर पार से भी ऑफर आ रहे हैं। बाढ़ की तबाही में सब कुछ खो चुकी छोटी निकिता अब भी मां को ढूंढती है। वो हर चेहरे में उस ममता को तलाशती है, लेकिन उसके आसपास अब सैकड़ों प्यार करने वाले हाथ हैं, जो उसे गले लगाते हैं, दुलारते हैं और उस खालीपन को भरने की कोशिश करते हैं। 30 जून की रात को जब बादल फटने से तलबाड़ा गांव में बाढ़ आई तो निकिता चमत्कारिक रूप से बच गई। हालांकि, उसके परिवार के ज्यादातर सदस्य बह गए। निकिता की बुआ तारा देवी और किरणा देवी अब उसकी देखभाल कर रही हैं। वहीं पूरा समुदाय अनाथ बच्ची की मदद के लिए आगे आया है। जब लोगों को निकिता के बारे में पता चला, तो उसके रिश्तेदारों और मंडी जिला प्रशासन को उसे गोद लेने के लिए कई फोन आए, यहां तक कि विदेशों से भी। हालांकि, परिवार ने मिलकर फैसला किया कि वे उसे गोद नहीं देंगे। किरणा देवी ने कहा कि निकिता हमारा खून है और हम उसे किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं दे सकते। मैं उसे अपनी बेटी की तरह पालूंगी किरणा के पति आंतरारण सिंह ने कहा कि मेरी पत्नी और मैं पहले से ही चाहते थे कि निकिता हमारे साथ रहे।
निकिता की दोनों बुआओं किरना देवी और तारा देवी ने उसे अपनी गोद में लिया और पूरे गांव ने इस बच्ची को अपनाया। गांव वालों ने हर संभव मदद की पेशकश की, कोई स्कूल में दाखिले की बात कर रहा है तो कोई आर्थिक सहयोग देने के लिए आगे आया। गोहाड़ के राजस्व अधिकारी कृष्ण चंद ठाकुर ने बताया कि मंडी प्रशासन ने निकिता के नाम से एक बैंक खाता भी खोल दिया है ताकि लोग अपनी ओर से आर्थिक सहायता उसमें जमा कर सकें। अब तक करीब 25,000 रुपये जमा हो चुके हैं और सहायता का सिलसिला जारी है।
हिमाचल के पूर्व सीएम जयराम ठाकुर भी कुछ दिन पहले निकिता से मिलने पहुंचा थे। उन्होंने निकिता के साथ मुलाकात का वीडियो भी शेयर किया था। उन्होंने लिखा था कि मासूम ने अभी ‘मां’ बोलना भी नहीं सीखा, लेकिन इसकी मां अब इस दुनिया में नहीं रही। वो अब कभी अपने पिता की उंगली पकड़कर चलना नहीं सीखेगी, क्योंकि उसके पिता भी इस त्रासदी में हमेशा के लिए चले गए। प्राकृतिक आपदा ने सराज को कई ऐसे जख्म दिए हैं, जो जिंदगीभर नासूर बनकर रहेंगे। ऐसा ही दर्द सराज के तलवाड़ा की 10 माह की बच्ची नितिका का है। इस बिटिया ने अपने संसार को खो दिया है। आपदा के कारण मासूम के माता-पिता की असामयिक मृत्यु होने के बाद इसकी बुआ देखभाल कर रहीं हैं। आज इस मासूम से मिलकर दिल टूट सा गया है। बेटी की मासूम मुस्कान जैसे अंदर से वेदना को बयां कर रही हो, शायद बेटी को माँ का इंतजार हो। मन के भीतर से अपने माता-पिता को ढूंढ रही हो लेकिन अब वो कभी नहीं आएंगे जिससे बिटिया अनजान है। गोद में खिलखिलाती इस बच्ची को देखकर बाहर से सब कुछ सामान्य लग सकता है, लेकिन भीतर एक ऐसा सूनापन है, जो शब्दों से परे है। हम सभी इस मासूम को किसी भी बात की कमी नहीं रखेंगे।