पाकिस्तानी महिला कैसे बन गई बिहार की सरकारी शिक्षिका? जानिए क्या है मामला

बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) के दौरान भागलपुर जिले में पाकिस्तानी महिला के सरकारी शिक्षक होने की जानकारी ने शिक्षा विभाग के साथ-साथ शासन-प्रशासन को भी हिलाकर रख दिया है। मामला इमराना खातून उर्फ इमराना खानम का है, जिनके बारे में गृह विशेष विभाग की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि वह मूलरूप से पाकिस्तानी नागरिक है और पिछले पांच दशकों से पहचान बदलकर भागलपुर में रह रही है। उन्होंने बिना भारतीय नागरिकता प्राप्त किए न केवल देश की शैक्षणिक परीक्षाएं पास कीं, बल्कि बिहार में सरकारी शिक्षक की नौकरी भी हासिल कर ली। मामला अब इसलिए और गहरा गया है क्योंकि इमराना खातून की स्कूल उपस्थिति में गड़बड़ी सामने आई है। नगर निगम क्षेत्र स्थित राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय में तैनात प्रधानाध्यापक अब्दुल हई ने बताया कि इमराना गत 23 जुलाई से 16 अगस्त तक मेडिकल लीव पर थीं। 17 अगस्त को वह स्कूल आई थीं। लेकिन जब उनकी आनलाइन उपस्थिति की तस्वीरों की रैंडम जांच की गई तो ज्यादातर फोटो एक जैसे पाए गए। तस्वीरों में वह प्रायः एक ही तरह के आंकड़े लिखे ब्लैकबोर्ड के आगे ही दिखीं। इस तरह इमराना का अटेंडेंस पैटर्न संदेहास्पद है। इमराना की नियुक्ति 31 जनवरी 2012 को नारायणपुर प्रखंड के एक स्कूल में हुई थी। इसके बाद 18 जुलाई 2013 से वह राजकीय उर्दू मध्य विद्यालय, भागलपुर में पदस्थापित हैं। नियुक्ति बिहार सरकार के 34,540 शिक्षक कोटे से की गई थी। सूत्रों के अनुसार, उनके खिलाफ समय-समय पर शिकायतें दर्ज हुईं, लेकिन गहन जांच कभी नहीं हुई। जिस तरह नाम छिपाकर वह इमराना खानम से इमराना खातून बन गईं, उसी तरह वह अटेंडेंस बनाने में भी फर्जीवाड़ा कर रही हैं।

शिक्षा विभाग में जमा उनके प्रमाणपत्रों के अनुसार इमराना ने 1983 में फतेहपुर के एमएएन स्कूल से मैट्रिक, 1989 में मुस्लिम माइनारिटी स्कूल से इंटर और 1987 में भागलपुर प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग सेंटर से प्राथमिक शिक्षण प्रमाणपत्र लिया। वहीं, आधिकारिक रिपोर्ट में वोटर लिस्ट और शैक्षणिक सर्टिफिकेट में पिता का नाम अलग-अलग पाया गया है। वोटर लिस्ट में पिता का नाम मोहम्मद इबमूल हसन दर्ज है, जबकि प्रमाणपत्रों में मोहम्मद मूसा। इस विसंगति से यह पुष्टि होती है कि इमराना खानम ही इमराना खातून हैं।

जैसे ही इमराना को खबर लगी कि उनकी पाकिस्तान से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक हो गई है, उन्होंने तत्काल छुट्टी ले ली। 22 अगस्त को उर्दू विद्यालय में पहले से अवकाश था, जबकि 23 और 24 अगस्त को उन्होंने सिक लीव का आवेदन दिया। प्रधानाध्यापक ने बताया कि 21 अगस्त को वह स्कूल आई थीं और सुबह 9:14 बजे ई-शिक्षा कोष पर अपनी उपस्थिति दर्ज की थी। अब देखना है कि वह 25 अगस्त को विद्यालय आती हैं या नहीं।

शिक्षा विभाग में प्रस्तुत किए गए सर्टिफिकेट के मुताबिक इनकी दशमी इंटर और डीएलएड की पढ़ाई भी भागलपुर से हुई है। इमराना खातून की मैट्रिक एमएएन फतेहपुर स्कूल से मदरसा बोर्ड से 1983 में हुई है। जबकि इंटर की पढ़ाई मुस्लिम माइनॉरिटी स्कूल से 1989 में हुई है। उसके बाद इमराना ने प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग सेंटर भागलपुर से 1987 में डीएलएड कोर्स किया है। जानकारी के मुताबिक अगर इनके मैट्रिक से पहले के कागजातों की जांच हो तो उसमें यह फर्जी साबित हो जाएगी. जिस तरह नागरिकता छुपा कर इमराना खानम से इमराना खातून बनी है। इस तरह उनके द्वारा स्कूल के अटेंडेंस के नाम पर भी फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं ऐसा प्रधानाध्यापक के दिए गए बयान से साफ स्पष्ट होता है। प्रधानाध्यापक अब्दुल हय के मुताबिक शिक्षिका इमराना खातून 23 जुलाई से 16 अगस्त तक मेडिकल लीव पर थी। इसके बाद 17 अगस्त को स्कूल पहुंची थी। वहीं अटेंडेंस में दिए गए फोटो की जब रैंडम जांच की गई तो इस बात की जानकारी मिली कि उनके ज्यादातर फोटो एक्शन एक समान है। उनके द्वारा बनाया गया अटेंडेंस की तस्वीर प्रायः ब्लैक बोर्ड के पीछे की है। शिक्षा विभाग को उनके अटेंडेंस की भी जांच करानी चाहिए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक फोटो के फोटो माध्यम से उनके अटेंडेंस आए दिन बनता है। इमराना खानम ही इमराना खातून है यह इस बात से पता लगाया जा सकता है। शिक्षा विभाग के रिपोर्ट के मुताबिक उनके शैक्षणिक योग्यता में जो माता का नाम अंकित है अब्बासिया खानाम है। वहीं वोटर लिस्ट के क्रमांक संख्या 534 पर अंकित इमराना खातून के पिता का नाम मोहम्मद इबमूल हसन है। लेकिन शिक्षा विभाग की रिपोर्ट में पिता का नाम मोहम्मद मूसा है।

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