जंगली तेंदू फल से जूस निर्माण का पेटेन्ट मिला

छत्तीसगढ़ को खाद्य पदार्थ श्रेणी मे प्रथम पेटेन्ट प्राप्त हुआ-

भारत सरकार द्वारा इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर मे वानिकी विभाग को तेंदू जूस रेसीपी निर्माण एंव प्रोसेसिंग प्रसंस्करण पर 20 वर्षों के लिये पेटेन्ट प्रदान किया गया है यह पेटेन्ट 26 मई 2022 से 26 मई 2042 तक के लिये पेटेन्ट अधिनियम 1970 के तहत प्रदान किया गया है।
यह अनुसंधान तेंदू फल से जूस निर्माण का नवाचार डॉ चन्द्रशिखा पटेल के पी एच डी अनुसंधान कार्य पर डॉ राजेन्द्र कुमार प्रजापति के नेतृत्व में छात्रा एंव अन्य वैज्ञानिक डॉ हरगोचिन्द एंव विजय कुमार की संयुका टीम ने सत्त दो वर्ष 20 विभिन्न ट्रीटमेंट में अलग अलग काम्बीनेशन में तेंन्दू फल के पल्प शर्करा, प्रिजरवेटिव की विभिन्न गात्राओं एवं रेरोिपी निर्माणो पर 7 जजो की टीम ने 15 दिनों के अंतराल पर बनाये गये जूस के स्वाद, रंग, टेक्चरके साथ माइक्रोवियल ऐमालिस कर अंत मे एक रेसिपी को पाया जो सर्वश्रेष्ठ सभी जजो द्वारा चुनी गई। यह एक बड़ी उपलब्धी विश्वविद्यालय के इतिहास में दर्ज होगी। अब बाजार में एक नये जंगली फल तेंन्दू से जूस निर्माण किया जावेगा जो सेहत के साथ-साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाने गे राक्षग है क्यांकि इराकी खेती नहीं होती ना ही कोई खाद, कीटनाशक का उपयोग होता है। शुध्द जंगली फल तेंदू का औद्ययोगीकरण होगा और वनवासियों की आय में वृध्दि होगी। वर्तमान में तेंन्दू पत्ते से 1000 करोड की आय छत्तीसगढ़ को होती है अब इसके फल प्रोसेसिंग से भी इनकम के साथ साथ प्राकृतिक स्वास्थवर्धक जूस भी प्राप्त होगा।

प्रौद्योगिकी संख्या -1:

प्रौद्योगिकी के विवरण हेतु प्रपत्र
1. केंद्र का नाम: वानिकी विभाग, आईजीकेवी रायपुर, छत्तीसगढ़
2. प्रौद्योगिकी का नाम: तेंदू फल (डायोस्पायरसमेलानोक्सिलॉनरॉक्सब) के प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन का मानकीकरण: उष्णकटिबंधीय शुष्क पर्णपाती वन के गैर-लकड़ी वन उत्पाद।
3. संबंधित वैज्ञानिक: डॉ. आर.के. प्रजापति, (चंद्रशिखा पटेल पीएच.डी. स्कॉलर), डॉ. एच.जी. शर्मा, डॉ. विजय कुमार
4. विकसित तकनीक की अवधि: जनवरी 2019 से जून 2021 तक
कुल 30 महीने का प्रयोग
5. तकनीक का प्रमुख लाभ: तेंदू रस के रूप में तेंदू फल के प्रसंस्करण, संरक्षण और मूल्य संवर्धन के माध्यम से जनजातियों की आय में वृद्धि करना, जो भारत और विदेशों के बाजारों में एक नया उत्पाद है।
6. तकनीक का विवरण: तेंदू के गूदे से तेंदू रस में रूपांतरण
7. तस्वीरें: अलग पृष्ठ पर संलग्न

8. तकनीक को अपनाने की स्थिति: हाल ही में विकसित तेंदू रस को बाजार में लॉन्च करने के बाद, अपनाने का आकलन किया जाएगा।
9. तकनीक का अर्थशास्त्र: निर्माण लागत:-
सामग्री-
1. तेंदू फल – 15 कि.ग्रा. लागत @ 10/- कि.ग्रा.
15 कि.ग्रा. फल से तैयार 360 बोतलें तेंदू रस
2. चीनी, साइट्रिक एसिड, – 1200 रु.
3. पैकिंग – 1000 रु.
कुल निर्माण लागत = 2350 रुपये
4. जूस की बोतल 200 मिली @ 25 रुपये का बाजार मूल्य
360 बोतलें x 25 रुपये = 9000 रुपये
जूस निर्माण की लागत: 2300 रुपये
जूस की बोतल से आय: 9000 रुपये
शुद्ध आय: 6700 रुपये
10. कोई अन्य विवरण: पेय उद्योग को भारत सरकार की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए पेटेंट विकल्प के बाद।

11. ऑर्गेनोलेप्टिक परीक्षण: छत्तीसगढ़ के राज्यपाल द्वारा स्वाद और रंग की सराहना की गई और ट्राइफेड को प्रसंस्करण मूल्य संवर्धन और बाजार में आपूर्ति में सहायता करने का निर्देश दिया गया।

 

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