‘गगनयान मिशन की दिशा में मील का पत्थर’, अंतरिक्ष से लौटने पर PM मोदी ने शुभांशु शुक्ला को दी बधाई

शुभांशु शुक्ला की स्पेस स्टेशन से वापसी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जताई है और इस्तकबाल किया है. सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए पीएम ने लिखा, “मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का स्वागत करता हूं, जो अपने ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन से पृथ्वी पर लौट रहे हैं. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन का दौरा करने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के रूप में, शुभांशु ने अपने समर्पण, साहस और अग्रणी भावना से करोड़ों सपनों को प्रेरित किया है. यह हमारे अपने मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन- गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है.”
वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट करते हुए कहा, “ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक एक्सिओम-4 मिशन से सफल वापसी हर भारतीय के लिए फख्र का लम्हा है. उन्होंने न केवल अंतरिक्ष को छुआ है, बल्कि भारत के सपनों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है.”
I join the nation in welcoming Group Captain Shubhanshu Shukla as he returns to Earth from his historic mission to Space. As India’s first astronaut to have visited International Space Station, he has inspired a billion dreams through his dedication, courage and pioneering…
— Narendra Modi (@narendramodi) July 15, 2025
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन तक जाना और वापस आना की उनकी यात्रा न सिर्फ एक व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह हिंदुस्तान की बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बड़ा कदम है. मैं उनके भविष्य की कोशिशों में उनकी कामयाबी की प्रार्थना करता हूं.”
अंतरिक्ष स्टेशन पर रहने और काम करने वाले भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री शुक्ला, अपने एक्सिओम-4 चालक दल के साथ, ऑर्बिटिंग लेबोरेट्री में 18 दिनों का वक्त पूरा करने के बाद वापस लौट आए. वे दोपहर करीब 3:01 बजे (भारतीय समयानुसार) सैन डिएगो के पास उतरे और ऐतिहासिक एक्सिओम-4 (एक्स-4) मिशन का पूरा हुआ. शुभांशु शुक्ला, सोमवार दोपहर (भारतीय समयानुसार) अंतरिक्ष स्टेशन से अनडॉक हुए और ड्रैगन अंतरिक्ष यान पर 22 घंटे का सफर पूरा करने के बाद धरती पर वापस लौट आए.
जब ड्रैगन 27,000 किमी/घंटा से ज्यादा की स्पीड से पृथ्वी के वायुमंडल से गुज़रा, तो शुभांशु शुक्ला और उनके साथी- कमांडर पैगी व्हिटसन (अमेरिका), स्लावोज़ उज़्नान्स्की (पोलैंड) और टिबोर कापू (हंगरी) को अत्यधिक गर्मी और गुरुत्वाकर्षण बल का सामना करना पड़ा, जिसके बाद पैराशूट की सफल तैनाती के बाद वे समुद्र में आसानी से उतर पाए.