तमिलनाडु के गंगईकोंड चोलपुरम मंदिर पहुंचे पीएम मोदी, कहा- जब ऊं नमः शिवाय सुनता हूं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं

प्रधानमंत्री के तमिलनाडु दौरे के दूसरा दिन रविवार दोपहर 12 बजे पीएम मोदी ने त्रिची में होटल से लेकर एयरपोर्ट तक रोड शो किया। इसके बाद वे अरियालुर के गंगईकोंड चोलपुरम मंदिर पहुंचे। पीएम यहां चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की 1000वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा- यह राजराजा की आस्था की भूमि है और इलैयाराजा ने इस आस्था की भूमि पर हम सभी को शिव भक्ति में डुबो दिया है। मैं काशी से सांसद हूं। और जब मैं ‘ऊं नमः शिवाय’ सुनता हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पीएम ने आगे कहा- इतिहासकार मानते हैं कि चोल साम्रााज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था।भारत की परंपरा को भी चोल साम्राज्य ने आगे बढ़ाया था। मैं राजा राजेंद्र चोल को नमन करता हूं। मुझे भगवान बृहदेश्वर के चरणों में उपस्थित होकर पूजा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैंने इस ऐतिहासिक मंदिर में 140 करोड़ भारतीयों के कल्याण और भारत की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की है। मेरी कामना है कि सभी को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो। चोल साम्राज्य का विस्तार सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने समुद्र पार भी भारत की समृद्ध संस्कृति और ताकत को पहुंचाया। यह भारत के प्राचीन सामर्थ्य और दूरदर्शी नेतृत्व का प्रतीक है। ये भी एक संयोग है कि मैं कल ही मालदीव से लौटा हूं और आज तमिलनाडु में इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हूं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु में ऐतिहासिक चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम को श्रद्धांजलि देते हुए उनके सम्मान में एक विशेष स्मृति सिक्का जारी किया। यह सिक्का सम्राट के महान योगदान और भारत के गौरवशाली इतिहास को सम्मान देने के उद्देश्य से जारी किया गया है।

अरियालुर में तिरुवथिरई महोत्सव मनाया जा रहा राजेंद्र चोल की जयंती पर अरियालुर में 23 जुलाई से 27 जुलाई तक आदि तिरुवथिरई महोत्सव मनाया जा रहा है। यह कार्यक्रम राजेंद्र चोल के दक्षिण पूर्व एशिया के समुद्री अभियान के 1,000 साल पूरे होने और गंगईकोंड चोलपुरम मंदिर के निर्माण की शुरुआत का भी प्रतीक है। इस मौके पर PM मोदी राजेंद्र चोल के सम्मान में एक सिक्का भी जारी करेंगे।

केंद्र सरकार के प्रेस रिलीज के मुताबिक, आदि तिरुवथिरई उत्सव में PM मोदी के साथ तमिल शैव मठों के प्रमुख (अधीनम) भी शामिल होंगे। 2023 में दिल्ली में नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर सेंगोल की स्थापना के समय 19 अधीनमों ने भाग लिया था।

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