बच्चो में मोटापे की समस्या…. 2030 तक अमेरिका और चीन के बाद तीसरे नंबर पर होगा भारत

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बच्चों में जंक फूड का उपयोग बढ़ा है, इसके अलावा टीवी-मोबाइल के चक्कर में फिजिकल एक्टिविटी कम हो गई है। शिशु रोग विशेषज्ञों को यह चिंता सता रही है कि छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश में बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ रही है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 तक भारत विश्व के टॉप थ्री देशों में शामिल हो जाएगा। बदलते वक्त के साथ लोगों की सुविधाएं भी बढ़ी हैं, जिसका असर लोगों की लाइफ स्टाइल पर हुआ है। पहले लोग अस्पतालों में ये समस्या लेकर आते थे कि उनके बच्चे काफी कमजोर हैं और उनका ठीक से विकास नहीं हो रहा है।

अब शिशुरोग विशेषज्ञों के पास होने वाली रोजाना ओपीडी में आठ से दस पैरेंट्स ऐसे होते हैं, जिनकी परेशानी बच्चों का अत्यधिक मोटापा यानी ओबेसिटी की समस्या होती है। चिकित्सकों के अनुसार यह समस्या काफी कॉमन होती जा रही है, जिसकी प्रमुख वजह बच्चों का आराम पसंद होना है। पहले यह समस्या मेट्रो सिटीज में हुआ करती थी, मगर अब मध्यवर्ग के इलाकों में भी पनपने लगी है। इसकी मुख्य वजह बच्चों के खेलकूद से दूर होना है, अब बच्चे ज्यादा वक्त घरों के भीतर मोबाइल, कंप्यूटर और टीवी के सामने बैठकर बिताते हैं। चिकित्सकों के अनुसार लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर मोटापे की समस्या 1990 से लेकर 2022 तक 4.5 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है।

जंक फूड, मैदे से बने खाद्य पदार्थों का अत्यधिक सेवन।
टीवी-मोबाइल लेकर आवश्यकता से अधिक खाना।
शारीरिक व्यायाम वाले खेलकूद का पूरी तरह बंद होना

एक अनुमान के मुताबिक 2030 तक अमेरिका और चीन के बाद भारत का नंबर होगा। कोरोना के बाद बच्चे घर पर अधिक वक्त बिता रहे हैं, जिसकी वजह से अत्यधिक खाना और खेलकूद नहीं होने के कारण 8 से 12 साल तक के बच्चों में यह परेशानी अधिक बढ़ रही है। छत्तीसगढ़ एकेडमिक ऑफ पीडियाट्रिक ने बच्चों के मोटापे के बारे में चिंता जाहिर की है।

शिशुरोग विशेषज्ञ के अध्यक्ष सीजीएपी डॉ. किरण माखीजा ने बताया कि, बच्चों का मोटापा बढ़ने की शिकायत लेकर रोजाना पैरेंटेस पहुंच रहे हैं। बदलती लाइफ स्टाइल और जंक फूड के सेवन के साथ शारीरिक गतिविधियां कम होने की वजह से यह समस्या बढ़ रही है। बच्चों की दिनचर्या में बदलाव करने की आवश्यकता है।

शिशुरोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण अग्रवाल ने बताया कि, इस तरह की समस्या से पीड़ित बच्चों की उम्र पांच से 12 साल के बीच की है। इस आयु में जंक फूड के प्रति उनका आकर्षण होता है। खानपान में अगर सही समय पर बदलाव नहीं किया गया तो भविष्य में यह गंभीर समस्या हो सकती है।