राजनांदगांव : 1 करोड़ के इनामी सहित 12 नक्सलियों का सरेंडर, MMC जोन नक्सल मुक्त की ओर
छत्तीसगढ़ : राजनांदगांव क्षेत्र में माओवादियों के केंद्रीय समति सदस्य रामधेर समेत 12 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण किया है. पुलिस अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि छह महिलाओं समेत 12 माओवादियों ने यहां वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया. उन्होंने कहा कि वे सरकार की नई आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित हैं. उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के सिर पर कुल 2.95 करोड़ रुपये का इनाम है.
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों ने 10 हथियार सौंपे, जिनमें तीन एके-47 राइफल, तीन इंसास राइफल, दो .303 राइफल, एक एसएलआर और एक कार्बाइन राइफल शामिल हैं. उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में केंद्रीय समिति सदस्य रामधेर उर्फ होरुपु उर्फ अमरजीत उर्फ देउ मज्जी शामिल हैं. अधिकारियों ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वालों में ‘डिविजनल कमेटी’ सदस्य रामधेर की पत्नी अनीता उर्फ ललिता उर्फ जैनी, चंदू उर्फ नरेश उर्फ चैतराम उर्फ देवचंद, प्रेम उर्फ उमराव और जानकी उर्फ प्रेमा उर्फ लिमी, पार्टी सदस्य शीला उर्फ वैसंती उर्फ सेवंती, लक्ष्मी उर्फ मनीता, योगिता उर्फ लक्ष्मी, सागर उर्फ रैनू, कविता उर्फ मासे तथा दो एरिया कमेटी सदस्य रामसिंह उर्फ संपत और सुकेश उर्फ रंगा शामिल हैं.
अधिकारियों का कहना है कि रामधर (53) पर कुल 1.05 करोड़ रुपये का इनाम है जबकि चार डिविजनल कमेटी सदस्यों पर 33-33 लाख रुपये, दो एरिया कमेटी सदस्यों पर 14-14 लाख रुपये और चार पार्टी सदस्यों पर छह-छह लाख रुपये का इनाम है. उन्होंने बताया आत्मसमर्पण करने वाले रामधेर समेत सभी माओवादी एमएमसी (मध्यप्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़) जोन में सक्रिय थे. राजनांदगांव में प्रेसवार्ता में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यकाल के दो वर्ष राज्य के इतिहास में निर्णायक मोड़ साबित हुए हैं. साय ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्य—“31 मार्च 2026 तक पूरे देश से नक्सलवाद का पूर्ण उन्मूलन”—की दिशा में छत्तीसगढ़ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और यह अब अंतिम सांसें गिन रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा, ”पिछले दो वर्षों में सुरक्षा बलों ने अभूतपूर्व सफलता हासिल की है. पांच सौ से अधिक माओवादी मुठभेड़ों में मारे गए, जबकि चार हजार से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया या उन्हें गिरफ्तार किया गया, जो नक्सलवाद के कमजोर पड़ने का स्पष्ट संकेत है.”
उन्होंने कहा कि सुरक्षा बलों के पराक्रम से बस्तर में दशकों से जमी हिंसा के विरुद्ध निर्णायक बढ़त मिली है. मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘गोलीबारी की भाषा छोड़कर मुख्यधारा से जुड़ना’ अब बस्तर में हकीकत बन रहा है. उन्होंने कहा कि पंडुम कैफ़े जैसे नवाचार आज सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक हैं. साय ने बस्तर को भविष्य के विकास का बड़ा केंद्र बताते हुए कहा कि कृषि, सिंचाई, वन-उत्पाद, पशुपालन और छोटे उद्योगों के लिए अभूतपूर्व संभावनाएं बन रही हैं. उन्होंने कहा, ”नई औद्योगिक नीति (2024–30) में नक्सल-प्रभावित क्षेत्रों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. वनोपज आधारित मूल्य सवंर्धन, प्रसंस्करण और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देकर स्थानीय युवाओं को रोजगार और स्थायी आय से जोड़ा जा रहा है.”
