प्राचार्य ई संवर्ग पदोन्नति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्टे से किया इनकार,आगे होगी सुनवाई

प्राचार्य ई संवर्ग पदोन्नति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। इस मामले में “कोटे पर कोटा” नीति को चुनौती देते हुए राजेश शर्मा की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।सुप्रीम कोर्ट ने प्राचार्य ई संवर्ग की पदोन्नति पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि मामले पर अंतिम सुनवाई आगे होगी, जिसकी संभावित तारीख 28 अक्टतय की गई है। इससे ई संवर्ग के शिक्षकों में उम्मीद जगी है कि जल्द ही पदोन्नति प्रक्रिया पूरी होगी और नियुक्तियां दी जाएंगी।सुनवाई के दौरान इंटरविनर रामगोपाल साहू एवं अन्य की ओर से अधिवक्ता आशुतोष घड़े और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने पक्ष रखा। उन्होंने विस्तार से तर्क दिया कि ई संवर्ग (एलबी संवर्ग) के शिक्षकों के साथ पूर्व में न्याय नहीं हुआ है। इंटरविनर की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2012 में भी एलबी संवर्ग को प्राचार्य पदोन्नति में 25% पदों का प्रावधान था, लेकिन विभिन्न कारणों से उन्हें उस समय पदोन्नति का लाभ नहीं मिल सका।
वर्तमान में ई संवर्ग (एलबी संवर्ग) के व्याख्याताओं की संख्या लगभग 80% तक पहुंच चुकी है। इसके बावजूद उन्हें व्याख्याता संवर्ग में अपेक्षाकृत बहुत कम पद मिले हैं। अधिवक्ताओं का कहना था कि राज्य शासन को यह अधिकार है कि वह अपने कर्मचारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए नियम बनाए ताकि सभी संवर्गों को समान रूप से लाभ मिल सके।
सुनवाई के दौरान यह बात भी सामने आई कि शासन की ओर से कोई वरिष्ठ अधिवक्ता प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित नहीं हुए। यहां तक कि ऑनलाइन माध्यम से भी शासन की ओर से कनेक्टिविटी नहीं हो पाई। इस कारण याचिकाकर्ता का पक्ष अधिक सशक्त रूप से सामने आ सका। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से की गई स्टे की मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर विस्तृत सुनवाई की जाएगी और तब अंतिम निर्णय होगा। अगली सुनवाई की संभावित तारीख 28 अक्टूबर तय की गई है।
कोर्ट के इस फैसले से ई संवर्ग (एलबी संवर्ग) के शिक्षकों और प्राचार्य पद की प्रतीक्षा कर रहे उम्मीदवारों में राहत और उम्मीद की लहर है। उनका मानना है कि अब पदोन्नति प्रक्रिया अवरुद्ध नहीं होगी और जल्द ही उन्हें हाईकोर्ट व शासन से भी राहत मिल सकती है।
“सुप्रीम कोर्ट ने स्टे नहीं दिया है। इसका मतलब है कि प्राचार्य पदोन्नति की प्रक्रिया आगे बढ़ सकती है। सभी ई संवर्ग के प्राचार्य साथी आशान्वित रहें। जल्द ही हाईकोर्ट से भी निर्णय आएगा और शीघ्र पोस्टिंग होगी।”