पाकिस्तान में विदेशी राजनयिकों के काफिले पर आतंकी हमला, ब्लास्ट में एक पुलिसकर्मी की मौत

अंतरराष्ट्रीय

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के स्वात घाटी में रविवार को एक पुलिस काफिले पर इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) से हमला हुआ. यह काफिला 24 विदेशी राजनयिकों और उनके परिवारों को सुरक्षित ले जा रहा था. इस हमले में एक पुलिस अधिकारी की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए हैं राजनयिक इस्लामाबाद में चैंबर ऑफ कॉमर्स (ICCI) और स्वात चैंबर ऑफ कॉमर्स के सहयोग से आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद वापस जा रहे थे जो राजनयिक इस काफिले में शामिल थे उनमें रवांडा की उच्चायुक्त फातू हररीमाना, पुर्तगाल के राजदूत मैनुएल फेडेरिको पिन्हेरो दा सिल्वा, ताजिकिस्तान के राजदूत शरीफजादा युसूफ तोइर, जिम्बाब्वे के राजदूत अबू बसुतु टाइटस मेहलीस्वा जोनाथन, ईरान के राजदूत डॉ. रेजा अमीरी मोगादम, रूस के राजदूत अल्बर्ट खोरव, रूस के राजदूत सहित बोस्निया और हर्जेगोविना, इंडोनेशिया, कज़ाखस्तान, वियतनाम और इथियोपिया के राजनयिक शामिल थे. मलकंद डिवीजन के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल, मुहम्मद अली गंडापुर ने इस बात की पुष्टि की है कि ब्लास्ट एक रिमोट-कंट्रोल्ड डिवाइस से हुआ. उन्होंने कहा कि धमाके में कोई भी विदेशी राजनयिक हताहत नहीं हुआ. धमाके के बाद सभी राजनयिक बुरी तरह घबरा गए थे.

राजनयिकों को सुरक्षित ले जाने से पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी, जिसमें 36 पुलिस अधिकारियों को राजनयिकों की सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया था. हालांकि, स्थानीय अधिकारियों ने संकेत दिया कि ICCI ने मलकंद पुलिस से सीधे संपर्क किया था और इस दौरान उच्च प्रांतीय अधिकारियों को बाईपास किया गया था, जिनपर आमतौर पर राजनयिक प्रोटोकॉल का जिम्मा होता है सुरक्षा चिंताओं के कारण दो एम्बेसी—तुर्की और स्पेन—ने इस प्रतिनिधिमंडल में भाग नहीं लिया. यह घटना क्षेत्र में बढ़ते हमलों की चिंताजनक प्रवृत्ति का हिस्सा है, जो अक्सर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) से जुड़ी होती है. इस विशिष्ट हमले की जिम्मेदारी किसी समूह ने नहीं ली है.

हाल ही में, खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने विदेशी पर्यटकों पर लगी पाबंदियों को हटा लिया है, जिससे पहले हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा के संभावित प्रभावों को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं