युद्ध ट्रंप ने रूकवाया तो टैरिफ क्यों?
यदि ट्रंप ने भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध रूकवाया है जिसका आधार वे व्यापार को बताते हैं। और कहते हैं कि, उनके कहने से यदि युद्ध रोका गया तो जमकर व्यापार करेंगे। अब उन्होंने भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया है। क्या इससे यह सिद्ध नहीं होता है? कि उनके कहने से युद्ध नहीं रूका बल्कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने फोन कर युद्ध रोकने की गुहार लगायी। यदि उनके कहने से युद्ध रूका होता तो शायद ऐसा टैरिफ नहीं लगाया जाता। संभावना तो यह है कि चार दिनों में दुर्गति होने के बाद पाकिस्तान ने अमेरिका के कहने पर भारतीय सेना के डीजीएमओ से बात की होगी तब भारत ने युद्ध स्थगित किया। यही वजह है कि पाकिस्तान के साथ अमेरिकी व्यापार जोर शोर से शुरू होगा। अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस को पीएम मोदी से बात करने के बाद यह अहसास हो गया होगा कि भारत डरने वाला नहीं है प्रयास तो पाकिस्तान को ही करना होगा और पाकिस्तान ने अमेरिका की बात मानकर भारत के डीजीएमओ को फोन किया।
अमेरिका हमेशा से भारत को अपने पक्ष में करने का प्रयास करता रहा है। इसके लिए उसने कई तरह के हथकंडे भी अपनाए हैं। याद कजिए कारगिल युद्ध का समय था जब अमेरिकी राष्ट्रपति ने फोन कर तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी को कहा था कि पाकिस्तान न्यूक्लियर वार कर सकता है। तब पाकिस्तान पर अमेरिका का वरदहस्त था। तब वाजपेयी जी ने अमेरिका को सीधा जवाब दे दिया था। कि यदि ऐसा हुआ तो मैं देश का 25 प्रतिशत हिस्सा खोने को तैयार हूं लेकिन पाकिस्तान दूसरी सुबह नहीं देख पायेगा। अमेरिका ने अभिनंदन को पाकिस्तान द्वारा बंदी बना लेने के बाद उसे छुड़वाने के लिए पाकिस्तान को फोन कर कहा था कि बंदी को छोड़ दिया जाय नहीं तो भारत कुछ बड़ा करने वाला है। जिसके बाद अभिनंदन को पाकिस्तान ने ससम्मान वाघा के रास्ते भारत को सौंप दिया था। अब फिर तीसरी बार आपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने पीएम मोदी को फोन कर कहा कि पाकिस्तान बड़ा हमला करने वाला है। तब पीएम मोदी ने उन्हें सीधा जवाब दिया कि, पाकिस्तान का ये इरादा है तो उसे बहुत महंगा पड़ेगा और हम उससे भी बड़ा हमला करेंगे और उसका जवाब देंगे. इस बात का जिक्र उन्होंने आपरेशन सिंदूर पर जवाब देते हुए संसद में कहा। तीन बार अमेरिका ने बारी बारी से भारत और पाकिस्तान को फोन कर कभी इधर कभी उधर अप्रत्यक्ष रूप से धमकी दी। लेकिन भारत पर इसका कोई असर नहीं हुआ जबकि पाकिस्तान ने अभिनंदन को भारत को सौंप दिया।
वर्तमान में अमेरिकी राष्ट्रपति शांति का नोबल पुरस्कार प्राप्त करने की कोशिश कर रहें हैं जिसके लिए उन्होंने विभिन्न युद्धों को रूकवाने का दावा कर स्वयं को नोबल पुरस्कार दिए जाने की वकालत कर रहें हैं। पाकिस्तान के नये फील्ड मार्शल मुनीर ने भी ट्रंप को नोबल पुरस्कार दिए जाने की वकालत कर व्हाइट हाउस में डीनर जीत लिया।
वैसे ट्रंप भारत के रूस के साथ रिश्ते को लेकर परेशान हैं। भारत रूस से सस्ते तेल खरीदता है, और अमेरिकी कीमतों से कम कीमत में उतने ही मारक युद्धक साजो सामान खरीद रहा है। इन सबके बावजूद यह अच्छी बात है कि ट्रंप भारत को पुराना दोस्त मानते हैं। लेकिन ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति के बदले हुए व्यवहार ने सभी को चकित कर दिया है। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में डिप्लोमेटिक जवाब दिया। रूस से हथियार खरीदने पर भले ही अमेरिका को तकलीफ हो लेकिन यह भी सच है कि भारत ने अमेरिका से भी अपाचे हेलीकाप्टर सहित कई सैनिक साजोसामान की खरीदी की है।