झोलाछाप डॉक्टर के लापरवाही की वजह से आदिवासी युवक की मौत… आदिवासी समाज में आक्रोश

छत्तीसगढ़ : गरियाबंद कोतवाली थाना क्षेत्र के ग्राम पेंड्रा में फर्जी डॉक्टरों की लापरवाही ने आदिवासी युवक की जिंदगी छीन ली। पाइल्स का इलाज करने के लिए दो झोलाछाप डॉक्टरों ने 30 हजार रुपए में सौदा किया था। लेकिन इलाज के दौरान युवक को अधमरा छोड़कर दोनों भाग गए। युवक को जिला अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वहीं युवक की मौत को लेकर आदिवासी समाज में भारी आक्रोश है। जानकारी के मुताबिक, पेंड्रा ग्राम निवासी पुरुषोत्तम ध्रुव (40 वर्षीय) को बवासीर की शिकायत थी, जिसका इलाज कराने के लिए उसने ओडिसा सीमा में रहने वाले झोला छाप डॉक्टरों को संपर्क कियाबबलू टांडी और संजू राजपुत नाम के दो युवक पुरुषोत्तम के घर पहुंचेउन्होंने इलाज के लिए 30 हजार में सौदा किया और फिर उपचार शुरू कियातीन दिन तक चले उपचार के अंतिम दिन बीमार शख्स को अधमरा छोड़ झोला छाप भाग गए उन्होंने युवक के परिजनों को गुप्त रोग का हवाला देकर इलाज वाले कमरे में अंदर नहीं घुसने मना कर दियाइसी बीच दोनों मौका देखकर इलाज के 10 हजार रुपए लिए बिना ही वहां से भाग गएमृतक की बड़ी बेटी को आशंका हुई तो उसने कमरा खोला तो उसके पिता खून से लथपथ कराहते हुए दिखेआनन फानन में गरियाबंद सरकारी अस्पताल भर्ती कराया गयालेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दियामल द्वार में गलत तरीके से चीरे लगाने के कारण खून बह चुका था, जिससे उसकी मौत हो चुकी थी

घटना के बाद आदिवासी समाज में आक्रोश है। समाज के प्रतिनिधि मंडल पीड़ित परिवार के घर पहुंचे। आदिवासी समाज ने इलाज के नाम पर हत्या करने वालों पर एफआईआर दर्ज और पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए की मुआवजा की मांग की है। चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि गांव के झोलाछाप डॉक्टरों ने पाइल्स के इलाज के दौरान चीरा लगाया थापरिजनों के अनुसार, इसके बाद मरीज को अत्यधिक ब्लीडिंग और दर्द होने लगा, जिसकी वजह से उसकी मौत हो गईपोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी पेरिएनल क्षेत्र में चोट के निशान पाए गए हैं एडिशनल एसपी गरियाबंद ने बताया कि मामले में शिकायत के आधार पर मर्ग कायम कर पंचनामा के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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