डॉगी ने अपनी जान देकर मालिक के बेटे को बचाया, सांप ने कई बार काटा, लेकिन आखिरी दम तक भिड़ी रही

यूपी के मेरठ में एक पालतू डॉगी की वजह से परिवार के सदस्यों की जान बच गई, लेकिन डॉगी की जान चली गई. हुआ यूं की आधी रात को सोते समय घर में एक जहरीला सांप आ गया. पालतू डॉगी ने उसको देखा तो वो सांप से भिड़ गई और जोर-जोर से भौंकने लगी. डॉगी के भौंकने से परिजनों की नींद खुल गई लेकिन तब तक सांप डॉगी को कई बार डस चुका था. डॉगी ने सांप को जबड़े में दबा लिया और सांप के डसने के बाद भी उसको छोड़ा नहीं. काफी मशक्कत के बाद परिजनों ने सांप को पकड़ के एक प्लास्टिक के डब्बे में बंद कर दिया और जंगल में छोड़ आए. इसके बाद डॉगी को अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका इलाज किया गया लेकिन एक दिन बाद डॉगी ने दम तोड़ दिया.

मामला मेरठ के दौराला थाना क्षेत्र में मोहल्ला रामपुरी का है, जहां 2-3 मई की रात को 3 बजे के आसपास गांव निवासी किसान कल्लू के घर एक जहरीला सांप घुस आया. घर में सभी परिजन उस समय सोए थे. बताया जा रहा है कि उनका एक बेटा सबसे आगे गेट की तरफ सो रहा था. घर में घुसे सांप को देखते ही पालतू डॉगी मिनी उससे भिड़ गई. सांप ने मिनी को कई जगह डस लिया. भौंकने की आवाज सुनकर सबकी आंखे खुल गई और परिजनों ने देखा कि उनकी डॉगी मिनी सांप से लड़ रही थी.

मिनी ने सांप को जबड़े में दबा लिया था, जबकि सांप बार-बार मिनी को डस रहा था. लेकिन मिनी ने उसको नहीं छोड़ा. कुछ देर बाद मिनी बेहोश होकर गिर गई और जैसे तैसे परिवार के लोगों ने लोहे की रोड की सहायता से सांप को पड़कर एक प्लास्टिक के डब्बे में बंद कर दिया और उसके बाद उसको जंगल में छोड़ आए. डॉगी मिनी को पशु चिकित्सकों के पास ले जाया गया और वह 27 घंटे तक जिंदगी और मौत के बीच झूलती रही. आखिरकार बीते दिन उसकी मौत हो गई. जिससे परिवार काफी दुखी है. परिजनों का कहना है कि एक महीने से भी कम उम्र की थी जब मिनी को घर लेकर आए थे और उसको परिवार के सदस्यों की तरह प्यार दिया जाता था.

मामले में मेरठ के डीएफओ ने बताया की एक घर में डोमेस्टिक डॉग की स्नेक बाइट में डेथ हुई है. बताया गया कि वह रसल वाइपर था. हालांकि, किसी भी वन विभाग के कर्मचारियों को कोई सूचना नहीं दी गई. इसमें देखा जाएगा कि कोई और रसल वाइपर वहां है या नहीं है. फिलहाल, सभी से अपील करते हैं कि कोई भी वन्य जीव कहीं भी दिखता है तो उससे दूरी बनाए रखें और प्रथम सूचना वन विभाग को जल्दी से दें. वन विभाग को सूचना पुलिस के माध्यम से या जिला प्रशासन के माध्यम से जरूर उपलब्ध कराएं ताकि उसकी भी सुरक्षा की जा सके और आपकी भी सुरक्षा की जा सके.

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