तुर्की में कब्र से मिली 2,100 साल पुरानी ‘देवता की मूर्ति

दक्षिण-पूर्वी तुर्की में एक पुरानी कब्र से मिस्र के देवता जिनका नाम पटाइकोस है, बहुत ही पुरानी और दुर्लभ मूर्ति मिली है. इस मूर्ति की उम्र फिलहाल 2,100 साल बताई जा रही है. यह मूर्ति पोरे नाम के प्राचीन शहर में मिली है जो कभी कोमाजीन साम्राज्य का बड़ा केंद्र हुआ करता थी. तुर्की में इस तरह की ये पहली खोज है. इस खोज से पता चलता है कि मिस्र और यूनानी दुनिया के बीच कफी अच्छे संबंध थे और ये आपस में संस्कृतियों का आदान-प्रदान भी करते थे. साथ ही ये मूर्ति प्राचीन कोमाजीन शहर के बारे में भी बताती है. इस मकबरे की बनावट सीढ़ी जैसी थी इसलिए इसे ‘अनंत काल की सीढ़ी‘ कहा जाता है. इसके अलावा ये मकबरा कोमागेने सभ्यता की संस्कृति और सोच को भी दिखाता है. यह मकबरा चट्टान को काट कर बनाया गया है जिसमें 14 लोगों के शव रखे गए थे. ये लोग शायद उस इलाके अमीर या मशहूर लोग रहे होंगे. मकबरे के अंदर मिली चीजें और इसकी बनावट बताती है कि यहां के लोग अपनी पुरानी परंपराओं के साथ-साथ दूसरी संस्कृतियों में भी विश्वास रखते थे.
पुरातत्वविदों को यहां मोती, ताबीज और छोटी मूर्तियां का खजाना मिला लेकिन इसमें जो सबसे खास था वह है पटाइकोस की मूर्ति. पटाइकोस मिस्र के एक बौने देवता हैं जिसे बुरी आत्माओं को दूर भगाने और मरने के बाद लोगों की आत्माओं को रास्ता दिखाने वाला माना जाता था. यह खोज तुर्की के लिए बड़ी सफलता है क्योंकि इससे पहली बार ये पता चला है कि मिस्र की मान्यताएं दूर-दराज के इलाकों में भी थीं.
अदियमन संग्रहालय के निदेशक मेहमत अलकने का कहना है कि, खुदाई के दौरान पहली बार ऐसी कोई मूर्ति मिली है. उन्होंने यह भी कहा, पेरे शहर में इसका मिलना बताता है कि पुराने समय में मिस्र के विश्वास और रीति-रिवाज, देवी-देवता दूर तक फैले हुए थे. इस खोज से साबित होता है कि, कोमाजेन ऐसा क्षेत्र है जहां कई संस्कृतियों का मेल था. ऐसा भी अनुमान लगाया जा रहा है कि, अमीर लोगों ने जानबूझकर मिस्र के देवताओं को अपनी कब्रों में रखा जिससे वह बुरी आत्माओं से बच सकें.