दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का भारत पर क्या पड़ेगा असर, ट्रंप के फैसले से US को क्या होगा नुकसान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अलग-अलग सामानों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाने का सिलसिला शुरू कर दिया। ट्रंप ने इस बार इंपोर्ट की जाने वाली दवाओं, किचन कैबिनेट और हैवी ट्रकों पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस बार ब्रांडेड और पेटेंट दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। जबकि किचन और बाथरूम कैबिनेट पर 50 प्रतिशत और हैली ट्रकों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा। दवाओं, किचन-बाथरूम कैबिनेट और ट्रकों पर ये नए नेशनल सिक्यॉरिटी टैरिफ 1 अक्टूबर से लागू हो जाएंगे।
जापान, यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के साथ ट्रंप प्रशासन के ट्रेड एग्रीमेंट में ऐसे प्रावधान शामिल हैं जो ऑटो, सेमीकंडक्टर और फार्मास्यूटिकल्स जैसे खास उत्पादों पर टैरिफ की अलग लिमिट तय करते हैं। इसका मतलब हुआ कि जिन देशों के साथ अमेरिका का ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है, उन देशों पर ये नए और भारी-भरकम टैरिफ लागू नहीं होंगे। जुलाई में वाइट हाउस द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, यूरोपीय संघ ने अमेरिका को 15 प्रतिशत के टैरिफ देने पर सहमति व्यक्त की है, जिसमें ऑटो और ऑटो पार्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स और सेमीकंडक्टर शामिल हैं।
जापान के साथ हुए ट्रेड एग्रीमेंट के तहत, वाहट हाउस द्वारा सितंबर की शुरुआत में जारी एक बयान के अनुसार, “विशिष्ट या चक्रवृद्धि शुल्क दरों का व्यवहार यूरोपीय संघ के उत्पादों के समान ही होगा।” इंडियन फार्मास्यूटिकल्स अलायंस (IPA) ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका द्वारा दवाओं पर 100 प्रतिशत टैरिफ लागू करने का असर सिर्फ पेटेंट और ब्रांडेड दवाइयों पर ही पड़ेगा और जेनेरिक दवाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं होगा। ग्लोबल ट्रेड एंड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव के अनुसार, भारतीय जेनेरिक दवाओं का एक्सपोर्ट भले ही ज्यादातर अप्रभावित रहे, लेकिन यूरोपीय देशों, खासकर आयरलैंड, स्विट्जरलैंड और जर्मनी पर टैरिफ का गहरा असर पड़ सकता है। बताते चलें कि भारत, अमेरिका को बड़ी मात्रा में दवाइयां निर्यात करता है। हालांकि, ये व्यापार मुख्य रूप से ब्रांडेड उत्पादों के बजाय जेनेरिक दवाओं पर केंद्रित है। DGCI&S के आंकड़े के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में अमेरिका को भारत का फार्मा फॉर्मूलेशन एक्सपोर्ट 9.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जो इसके कुल फार्मा एक्सपोर्ट का लगभग 40% है।
भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते के अलग-अलग पहलुओं पर एक सकारात्मक चर्चा हुई है। इस दौरान दोनों पक्षों ने पारस्परिक रूप से लाभकारी समझौते को जल्द ही अंतिम रूप देने के लिए बातचीत जारी रखने का फैसला किया है। वाणिज्य मंत्रालय ने शुक्रवार को ये जानकारी दी। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में अमेरिका गया भारतीय प्रतिनिधिमंडल तीन दिनों के दौरे के बाद 24 सितंबर को वापस भारत लौट आया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल ने अमेरिकी सरकार के अधिकारियों के साथ समझौते के संभावित स्वरूप को लेकर सकारात्मक बातचीत की।
अमेरिका और चीन ने एक-दूसरे की वस्तुओं पर तीन अंकों के टैरिफ रेट को टालते हुए टैरिफ संघर्ष विराम को 90 दिनों के लिए और बढ़ा दिया था। इस समझौते के तहत कम से कम 10 नवंबर तक चीन पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा, जबकि अमेरिका पर चीनी टैरिफ 10 प्रतिशत होगा। हालांकि, अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि चीन द्वारा पहले से चुकाए जा रहे 30 प्रतिशत टैरिफ के साथ-साथ उन्हें ये नए टैरिफ भी चुकाने होंगे या नहीं। बताते चलें कि अमेरिका ने साल 2024 में लगभग 25.5 बिलियन डॉलर का फर्नीचर आयात किया था, जिसमें से लगभग 60 प्रतिशत आयात वियतनाम और चीन से किया गया था।