अमेरिका में भारतीय इंजीनियर को पुलिस ने मारी गोली, मौत से पहले नस्लीय उत्पीड़न का लगाया था आरोप

अमेरिका में मास्टर्स की पढ़ाई करने गए और सॉफ्टरवेयर इंजीनियर के रूप में काम करने वाले तेलंगाना के 30 वर्षीय स्टूडेंट मोहम्मद निजामुद्दीन की मौत हो गई है. अपने रूममेट के साथ कथित विवाद के बाद 3 सितंबर को कैलिफोर्निया के सांता क्लारा पुलिस ने उसे गोली मार दी थी. भारत में परिवार ने अब विदेश मंत्रालय से उसके पार्थिव शरीर को लाने में मदद करने का अनुरोध किया है. बॉडी को अभी औपचारिकताओं के लिए सांता क्लारा के एक अस्पताल में रखा गया है. गोलीबारी की घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए, तेलंगाना के महबूबनगर में परिवार और दोस्तों का कहा कि निजामुद्दीन एक शांत, धार्मिक युवक था. परिवार ने बताया कि गोली मारे जाने से दो हफ्ते पहले एक लिंक्डइन पोस्ट में निजामुद्दीन ने सार्वजनिक रूप से नस्लीय उत्पीड़न, वेतन में धोखाधड़ी और गलत तरीके से नौकरी से निकाले जाने की शिकायतें उठाई थीं.

उस पोस्ट में, निजामुद्दीन ने लिखा था, “बहुत हो गया, श्वेत वर्चस्व / नस्लवादी श्वेत अमेरिकी मानसिकता को समाप्त करना होगा.” उसने इस पोस्ट में नस्लीय भेदभाव, उनके भोजन में जहर देने, निष्कासन और एक जासूस द्वारा लगातार निगरानी और धमकी जैसे आरोप लगाए थे. इस पोस्ट के कुछ हिस्से उसकी मौत के बाद सोशल मीडिया और कम्युनिटी चैनलों पर शेयर किए गए थे.

सांता क्लारा पुलिस के बयानों के अनुसार जब घर के अंदर से चाकूबाजी के बारे में 911 पर कॉल आया तब पुलिस अधिकारी वहां पहुंचे थे. पुलिस का कहना है कि अधिकारियों ने चाकू से लैस एक संदिग्ध का सामना किया, जब संदिग्ध ने पुलिस की दिए आदेशों का पालन नहीं किया तो गोली चलाई गई. पुलिस विभाग ने एक बयान में कहा कि संदिग्ध ने अपने रूममेट को नीचे गिरा दिया था और रूममेट को चाकू से कई चोटें आई थीं.

हालांकि, परिवार ने पुलिस के दावे के कुछ हिस्सों पर विवाद किया है और कहा है कि गोली लगने से पहले निजामुद्दीन ने ही मदद के लिए पुलिस को बुलाया था.परिवार ने भारतीय और अमेरिकी, दोनों अधिकारियों से उन परिस्थितियों की गहन जांच की मांग की है जिनके कारण निजामुद्दीन की मौत हुई. साथ ही उसके द्वारा नस्लीय भेदभाव और परेशान करने के बारे में ऑनलाइन लगाए गए आरोपों की जांच करने की भी मांग की गई है.

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