उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड खत्म.. सभी अल्पसंख्यकों के लिए नया शिक्षा ढांचा तैयार…धामी सरकार का बड़ा फैसला

उत्तराखंड सरकार ने एक महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य में मदरसा शिक्षा बोर्ड को खत्म करने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में रविवार 17अगस्त को हुई कैबिनेट बैठक में उत्तराखंड अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थान अधिनियम, 2025को मंजूरी दी गईइस नए अधिनियम को 19से 22अगस्त तक विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा इस कदम का उद्देश्य अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को एक समान और पारदर्शी ढांचे के तहत लाना हैजिसमेंकेवल मुस्लिम समुदाय बल्कि सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी समुदायों के संस्थान भी शामिल होंगेइसी के साथ सरकार का दावा है कि इस कदम के साथ उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जिसने सभी अल्पसंख्यक समुदायों के शैक्षिक संस्थानों को मान्यता देने के लिए एकाकीकृत और पारदर्शी प्रक्रिया तैयार की है

जानकारी के अनुसार, नए अधिनियम के लागू होने के बाद 01जुलाई 2026से उत्तराखंड मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016और इससे संबंधित गैर-सरकारी अरबी-फारसी मदरसा मान्यता नियम, 2019को निरस्त कर दिया जाएगाइसकी जगह उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण (USAME) का गठन होगा, जो सभी अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों की मान्यता और निगरानी का कार्य करेगा वर्तमान में राज्य में 452पंजीकृत मदरसे हैं, जिन्हें नए प्राधिकरण से पुनः मान्यता प्राप्त करनी होगी। नए नियमों के तहत, मान्यता प्राप्त संस्थानों में गुरुमुखी और पाली जैसी भाषाओं का अध्ययन भी संभव होगा, जिससे इन भाषाओं के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

हाल के सालों में उत्तराखंड में 500से अधिक अवैध मदरसों की पहचान की गई थी, जिनमें से 237को पहले ही बंद किया जा चुका है। इन मदरसों में छात्रवृत्ति और मिड-डे मील योजनाओं में अनियमितताएं पाई गई थीं। सरकार का मानना है कि नया प्राधिकरण शिक्षा की गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा। साथ ही सभी अल्पसंख्यक समुदायों को समान अवसर प्रदान करेगा।

नए अधिनियम के तहत, अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों को मान्यता प्राप्त करने के लिए सख्त शर्तें पूरी करनी होंगी। संस्थानों का सोसाइटी एक्ट, ट्रस्ट एक्ट या कंपनी एक्ट के तहत पंजीकरण अनिवार्य होगा। साथ ही, संस्थान की भूमि और संपत्ति उसके नाम पर होनी चाहिए। गैर-अल्पसंख्यक छात्रों का नामांकन 15% से अधिक नहीं होना चाहिए। प्राधिकरण पाठ्यक्रम निर्धारित करेगा और धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ मुख्यधारा की शिक्षा को बढ़ावा देगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *