महादेव सट्टा केस : 12 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, ढाई साल से रायपुर सेंट्रल-जेल में हैं बंद

महादेव सट्टा ऐप केस के सभी 12 आरोपितों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। पिछले ढाई साल सभी रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सूदरैश और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया है। महादेव ऑनलाइन घोटाले से जुड़े भीम सिंह यादव, अर्जुन यादव, चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर समेत सभी 12 आरोपियों को जमानत मिल गई है। महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप घोटाले से जुड़े सभी 12 आरोपी पिछले ढाई साल से रायपुर सेंट्रल जेल में बंद है। यह मामला लंबे समय से सीबीआई और ईडी दोनों एजेंसियों की जांच के दायरे में है। महादेव सट्टा एप की शुरुआत 2016 में हुई थी। इसे लॉन्च किया था सौरभ चंद्राकर, रवि उप्पल और अतुल अग्रवाल ने। शुरुआत में एप पर ऑनलाइन सट्टेबाजी होती थी, जिसमें क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस, बैडमिंटन जैसे खेलों के साथ पोकर, तीन पत्ती और वर्चुअल गेम्स के अलावा चुनाव भविष्यवाणी पर भी दांव लगाया जाता था। यह एप दुबई से संचालित होने के कारण जुआ गतिविधियों के लिए कुख्यात हो गया। महादेव एप एक सिंडिकेट के रूप में संचालित होता था। यह विभिन्न अवैध सट्टेबाजी प्लेटफॉर्म को एकत्र करता और फ्रेंचाइजी के माध्यम से काम करता। फ्रेंचाइजी के साथ 70:30 के अनुपात में मुनाफा बांटा जाता था। यूजर्स को संपर्क करने के लिए नंबर दिए जाते थे, जिससे वे आईडी बनाकर पैसे जमा कर सकते थे। जीतने के बाद पैसे नकद निकालने की सुविधा दी जाती थी।
महादेव एप 2022 तक खुलेआम चलता रहा, लेकिन इसके बाद इनकम टैक्स विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की निगरानी में आया। ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए और बड़े पैमाने पर ठिकानों पर छापेमारी की। जांच में पता चला कि इस मामले में लगभग 6,000 करोड़ रुपए का मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क शामिल था।
जांच में हवाला नेटवर्क, शेल कंपनियां और यहां तक कि राजनीतिक संरक्षण के दावों के लिंक भी सामने आए। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बावजूद आरोपियों पर जांच की प्रक्रिया जारी रहेगी।