भारत में पाम खेती को मिलेगा नया आयाम, मलेशिया की सरकारी एजेंसी ने पतंजलि को भेजे 15 लाख बीज

भारत में पाम तेल की घरेलू उत्पादन क्षमता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, मलेशिया की सरकारी एजेंसी सावित किनाबालु समूह ने पतंजलि समूह को अब तक पाम के 15 लाख बीजों की आपूर्ति की है। यह आपूर्ति दोनों पक्षों के बीच हुए एक पांच वर्षीय समझौते का हिस्सा है, जिसके अंतर्गत कुल 40 लाख बीज भेजे जाने हैं। यह अनुबंध वर्ष 2027 तक प्रभावी रहेगा। पाम तेल के मामले में भारत, विश्व में सबसे बड़े आयातकों में से एक है। ऐसे में देश की आयात निर्भरता कम करने के लिए सरकार घरेलू स्तर पर इसकी खेती को तेजी से बढ़ावा दे रही है। इसी दिशा में यह समझौता महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह पहली बार है जब मलेशिया की किसी सरकारी एजेंसी ने भारत को बीज आपूर्ति का करार किया है।
सावित किनाबालु समूह की बीज इकाई के महाप्रबंधक डॉ. जुरैनी ने जानकारी दी कि बीज आपूर्ति के साथ-साथ तकनीकी परामर्श, विशेषज्ञों की क्षेत्रीय यात्राएं और बीज गुणवत्ता की निगरानी जैसी सेवाएं भी पतंजलि समूह को प्रदान की जाएंगी। समूह के मुख्य सतत अधिकारी नजलान मोहम्मद ने बताया कि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में लगाए गए मलेशियाई बीजों से उत्साहजनक परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि मलेशिया की सरकार कुछ क्षेत्रों में पाम के पुनः रोपण के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है, जिससे घरेलू मांग बढ़ी है और भारत को बीज आपूर्ति सीमित की जा सकती है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि एजेंसी अन्य भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग के लिए भी तैयार है। पतंजलि समूह पूर्वोत्तर भारत में एक आधुनिक पाम ऑयल प्रोसेसिंग मिल स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है, जो 2026 तक शुरू हो सकती है।
भारत में वर्तमान में करीब 3.69 लाख हेक्टेयर भूमि पर पाम की खेती हो रही है, जिसमें 1.8 लाख हेक्टेयर क्षेत्र उत्पादन के लिए तैयार है। खेती का रकबा तेजी से बढ़ रहा है और यह 2024 तक 3.75 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। भारत सरकार ने ‘नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल्स – पाम ऑयल’ (NMEO-OP) के अंतर्गत 2030 तक पाम की खेती को 66 लाख हेक्टेयर तक विस्तार देने का लक्ष्य रखा है, जिससे करीब 28 लाख टन घरेलू पाम तेल उत्पादन संभव हो सकेगा। यह रणनीतिक साझेदारी भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और आने वाले वर्षों में पाम तेल उत्पादन में देश की स्थिति को और सशक्त बना सकती है।