पंकज चौधरी ने यूपी BJP अध्यक्ष पद के लिए दाखिल किया नामांकन, CM योगी आदित्यनाथ बने प्रस्तावक

भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने उत्तर प्रदेश भाजपा का अगला अध्यक्ष बनने के लिए आज शनिवार को पार्टी के लखनऊ दफ्तर में अपना नामांकन दाखिल किया. वह अपना नामांकन दाखिल करने के लिए आज दोपहर एयर इंडिया की फ्लाइट से लखनऊ पहुंचे और चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से सीधे बीजेपी कार्यालय के लिए रवाना हो गए. यहां उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल किया. महाराजगंज जिले से बड़ी संख्या में उनके समर्थक लखनऊ एयरपोर्ट और पार्टी कार्यालय दोनों जगहों पर पहले से ही मौजूद थे.

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक उनके प्रस्तावक बने. इस दौरान बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव विनोद तावड़े और लखनऊ भाजपा प्रमुख महेंद्र नाथ पांडे ने चुनाव अधिकारी के रूप में पंकज चौधरी का नामांकन स्वीकार किया. इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, यूपी सरकार में मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह, सूर्य प्रताप शाही, सुरेश खन्ना और बेबी रानी मौर्य भी मौजूद रहे. भाजपा के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी के उत्तर प्रदेश भाजपा का अगला अध्यक्ष बनने की पूरी संभावना है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, उनका निर्विरोध चुना जाना लगभग निश्चित है.

अभी तक सिर्फ पंकज चौधरी का ही नामांकन पत्र दाखिल हुआ है. यदि केवल एक ही नामांकन दाखिल किया जाता है तो भारतीय जनता पार्टी आज ही अपने यूपी प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पकंज चौधरी के नाम को अंतिम रूप दे सकती है. उत्तर प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष की औपचारिक घोषणा रविवार दोपहर लखनऊ में पार्टी के एक कार्यक्रम में होने की संभावना है, जहां केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की उपस्थिति में राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के नामों की भी घोषणा होगी.

भाजपा ने इस नियुक्ति को लेकर सस्पेंस बनाए रखा है. सूत्रों के अनुसार, पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपनी व्यापक राजनीतिक रणनीति के अनुरूप, राज्य अध्यक्ष के रूप में एक ओबीसी नेता को नियुक्त करने का निर्णय पहले ही ले लिया है. महाराजगंज से 7 बार के लोकसभा सांसद और ओबीसी कुर्मी समुदाय के नेता पंकज चौधरी को बीजेपी यूपी में आगामी राजनीतिक चुनौतियों से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में देख रही है. भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान ओबीसी वोट बैंक, विशेष रूप से कुर्मी समुदाय में भारी असंतोष का सामना करना पड़ा था, और नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को उस असंतोष को दूर करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.

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