सुप्रीम कोर्ट बोला- वॉट्सएप क्यों, स्वदेशी एप अपनाएं, ब्लॉक अकाउंट बहाल करने की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस याचिका खारिज कर दिया, जिसमें देशभर में सोशल मीडिया अकाउंट्स को सस्पेंड या ब्लॉक करने के नियम बनाने की मांग थी। याचिकाकर्ता चाहते थे कि सोशल मीडिया कंपनियां अकाउंट सस्पेंड या ब्लॉक करने में साफ प्रक्रिया, पारदर्शिता और संतुलन रखें। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने अनुच्छेद 32 के तहत कहा कि वॉट्सएप तक पहुंच को मौलिक अधिकार कैसे कहा जा सकता है। बेंच ने यह भी कहा कि हाल ही में एक देशी मैसेजिंग एप लॉन्च हुआ है, जिसे याचिकाकर्ता इस्तेमाल कर सकते हैं। कोर्ट ने यह सुझाव भी दिया कि अगर चाहें तो याचिकाकर्ता इस मामले को निचली अदालत में भी ले जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दरअसल जोहो कंपनी का नया मैसेजिंग एप ‘अरट्टाई’ का जिक्र किया था। इस एप के डाउनलोड में सितंबर में 100 गुना बढ़ोतरी हुई। 3 अक्टूबर तक इसे 75 लाख बार डाउनलोड किया जा चुका था। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने भी इस एप का इस्तेमाल शुरू कर दिया है।
अरट्टाई एप को जोहो कॉर्पोरेशन ने बनाया है। इसे 2021 में लॉन्च किया गया था। अरट्टाई का मतलब तमिल में ‘कैजुअल चैट’ यानी सामान्य बातचीत है। इसमें टेक्स्ट मैसेज, फोटो, वीडियो और डॉक्यूमेंट भेज सकते हैं। साथ ही वॉइस और वीडियो कॉलिंग, स्टोरी फीचर और चैनल मैनेजमेंट जैसी सुविधाएं भी मौजूद हैं। अरट्टाई को चेन्नई में हेडक्वार्टर वाली कंपनी जोहो कॉर्पोरेशन ने डेवलप किया है। इस कंपनी की शुरुआत 1996 में श्रीधर वेम्बु और टॉनी थॉमस ने की थी। यह आज दुनिया के 150 देशों में 130 मिलियन से ज्यादा यूजर्स को सर्विस दे रही है। जोहो की 55 से ज्यादा बिजनेस एप्लिकेशन हैं। इनमें ईमेल, CRM, HR, अकाउंटिंग और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट टूल शामिल हैं।
‘मेड इन इंडिया’ टैग, प्राइवेसी-फ्रेंडली डिजाइन और सरकार के खुले समर्थन की वजह से अचानक इस लोग डाउनलोड कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी सोशल मीडिया X पर अरट्टाई को यूज करने की अपील की थी।
अरट्टाई की खास बात यह है कि यह लो-बैंडविड्थ कंजम्पशन फीचर के साथ आता है। यानी यह उन क्षेत्रों में भी काम करता है, जहां इंटरनेट कनेक्शन कमजोर या रुक-रुक कर चलता है। यह एप कम कीमत वाले स्मार्टफोन्स पर भी आसानी से चलेगा।