टीचर मारती हैं, गाली देती हैं…छात्राएं स्कूल के बाहर बैठीं, बोलीं-लाइफ बर्बाद कर दूंगी कहती है….

छत्तीसगढ़ : दंतेवाड़ा जिले के बारसूर स्थित स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल की छात्राओं ने एक शिक्षिका के खिलाफ प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए स्कूल के बाहर धरना दियाछात्राओं का कहना है कि शिक्षिका माधुरी उइकेकेवल उन्हें बल्कि अन्य शिक्षकों को भी गालियां देती हैं, जिससे उनका मानसिक तनाव बढ़ गया है। छात्राओं ने इस मामले में कलेक्टर से शिकायत की थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस पर छात्राओं ने 10 अक्टूबर को कक्षा छोड़कर स्कूल के बाहर बैठने का निर्णय लियाछात्राओं ने इस प्रकरण में जिला शिक्षा अधिकारी से भी बात की है, जिन्होंने आश्वासन दिया है कि 3 से 4 दिनों के भीतर मामले की जांच की जाएगी। उन्होंने कहा कि जांच के बाद ही उचित कार्रवाई की जाएगी। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब छात्राएं शिक्षिका के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर स्कूल के बाहर पेड़ के नीचे बैठ गईं। छात्राओं का कहना है कि वे नवमीं और दसवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही हैं और पिछले दो दिनों से शिक्षिका को हटाने की प्रशासन से मांग कर रही हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि जब तक शिक्षिका को नहीं हटाया जाता, तब तक वे स्कूल के अंदर नहीं जाएंगी। इस स्थिति ने स्कूल में तनाव का माहौल पैदा कर दिया है, जहां छात्राएं अपने शिक्षा के अधिकार से वंचित हो रही हैं।

छात्रा ने बताया, “एक दिन पहले हमारे परिजन भी स्कूल आए थे, लेकिन लंच ब्रेक के दौरान माधुरी मैडम ने हमें मिलने नहीं दिया और हमें एक क्लास में बंद कर दिया। हमें डर है कि अगर हम स्कूल गए तो वे हमारे साथ कुछ गलत कर सकती हैं।” इस बात से स्पष्ट है कि छात्रों में शिक्षिका के प्रति डर का माहौल है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है। छात्राओं ने बताया कि विरोध प्रदर्शन के दौरान एक बीईओ मैडम स्कूल में आईं, लेकिन उन्होंने शिक्षिका के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के बजाय छात्रों को ही फटकार लगाई। छात्रों का आरोप है कि बीईओ ने उनसे कहा कि शिक्षिका का 15 साल का अच्छा रेपुटेशन है, और अगर उन्होंने बयान नहीं बदला तो शिक्षिका का नाम खराब हो जाएगा। यह बात छात्रों के लिए बेहद चौंकाने वाली थी, क्योंकि उनकी शिकायत को नजरअंदाज किया गया।

दंतेवाड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी मिली है और वे मामले की जांच के लिए एक टीम भेजेंगे। उन्होंने आश्वासन दिया कि अगर स्कूल के स्टाफ में से कोई भी दोषी पाया गया, तो उचित कार्रवाई की जाएगी। बीईओ द्वारा बच्चों से बयान बदलने के लिए कहने की बात भी जांच का हिस्सा होगी।

इस घटना ने न केवल छात्रों के अधिकारों की चर्चा को बढ़ावा दिया है, बल्कि यह भी दर्शाया है कि शिक्षा संस्थानों में छात्रों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा कितनी महत्वपूर्ण है। यह घटना उस समय हुई है जब शिक्षा के क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है और शिक्षकों को छात्रों के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है। छात्राओं का यह संघर्ष यह बताता है कि वे अपनी आवाज उठाने के लिए तैयार हैं और किसी भी प्रकार की प्रताड़ना के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत रखती हैं। ऐसे मामलों में प्रशासन की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, और उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि छात्रों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जाए।

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