‘चूहे का हाथी पर वार करने जैसा’, अमेरिकी अर्थशास्त्री ने भारत के खिलाफ ट्रंप टैरिफ पर उठाए सवाल

अमेरिका ने आखिरकार भारतीय वस्तुओं के आयात पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया है। वहीं, ट्रंप को भारत पर टैरिफ को लेकर अपने ही देश में आलोचनाओं सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी अर्थशास्त्री रिचर्ड वोल्फ ने कहा कि अमेरिका भारत के खिलाफ “दुनिया के सबसे सख्त आदमी” की तरह काम कर रहा है, लेकिन ब्रिक्स को पश्चिम का आर्थिक विकल्प बनाने पर जोर देकर वह खुद ही अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार रहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत अब आबादी के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा देश है। अमेरिका का भारत को यह बताना कि उसे क्या करना है, चूहे का हाथी पर मुक्का मारने जैसा है। एक साक्षात्कार में, वोल्फ ने कहा कि अगर अमेरिका भारत के लिए अपने रास्ते बंद कर देता है, तो भारत अपने निर्यात बेचने के लिए अन्य जगहें ढूंढ लेगा, और यह कदम ब्रिक्स देशों को और मजबूत करेगा। अमेरिकी टैरिफ भारतीय उत्पादों पर अप्रैल से पहले से लग रहे शुल्क से अतिरिक्त है। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय उत्पादों पर कुल टैरिफ 70 प्रतिशत तक हो गया है। अमेरिका के इस कदम से वहां निर्यात होने वाले करीब 48 अरब डॉलर के भारतीय उत्पादों पर असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है।

उन्होंने कहा कि लेकिन जिस तरह रूस ने अपनी ऊर्जा खरीदने और बेचने के लिए एक और स्थान ढूंढ लिया है, उसी तरह भारत भी अब अपना निर्यात संयुक्त राज्य अमेरिका को नहीं, बल्कि शेष ब्रिक्स देशों को बेचेगा। ब्रिक्स दस देशों का एक समूह है – ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, इंडोनेशिया, ईरान और संयुक्त अरब अमीरात। इस समूह का उद्देश्य पश्चिमी वित्तीय प्रभुत्व का मुकाबला करना है और डॉलर के प्रभुत्व को चुनौती देने के लिए विकल्प तलाश रहा है।

अमेरिका के 50 प्रतिशत के टैरिफ को भारत ने एक सबक के रूप में लिया है। किसी वस्तु के आयात व निर्यात के लिए किसी एक देश पर निर्भर नहीं रहकर अब पूरी दुनिया में भारत की पैठ बढ़ाने की नीति बनाई जा रही है। इस दिशा में वाणिज्य मंत्रालय युद्ध स्तर पर काम कर रहा है ताकि सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में भारतीय निर्यात को बढ़ाया जा सके। किसी वस्तु के आयात के लिए भी किसी एक देश पर निर्भरता नहीं रहे।

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